वाराणसी। हमेशा अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या शनिवार की रात वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रेसवार्ता कर मीडिया से बातचीत करते हुए लखनऊ को…

वाराणसी। हमेशा अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या शनिवार की रात वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रेसवार्ता कर मीडिया से बातचीत करते हुए लखनऊ को लक्ष्मणपुर बनाने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लखनऊ का नाम लक्ष्मण की वजह से नहीं, बल्कि लखनऊ के राजा लखन पासी के पत्नी लखनावती के नाम पर पड़ा है। लक्ष्मण वहां पर थे ही नहीं। उनका इस शहर से कोई वास्ता नहीं है।

मूर्ति लगने से नाम बदल दोगे क्या

उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ में लक्ष्मण की मूर्ति तो आज लगी है। मूर्ति लगने से नाम बदल दोगे क्या। आज भी लखनऊ में लाखन पासी के किले के साक्ष्य विद्यमान हैं। कोई दूसरा आकर कब्जा नहीं कर सकता। यदि बदलना ही है तो नया नाम लखनऊ पासी कर दो।

आपके घर पर कोई दूसरा कब्जा कर लें, तो क्या करोगे

मीडिया ने सवाल किया कि लक्ष्मण के नाम पर आपको क्या आपत्ति है? इस पर स्वामी प्रसाद बोले- अरे भाई जो जहां के नाम पर है उसी को लाओगे न। आपके घर पर कोई दूसरा कब्जा कर लेगा, तो आप क्या करोगे। लखनऊ का नाम लखन पासी नहीं कर पा रहे हैं, तो पासी समाज की गौरव ऊंदा देवी के नाम कर दो। जिन्होंने 1857 की क्रांति के दौरान लखनऊ में 36 अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया था।

लखनऊ को लखनऊ ही रहना चाहिए।

स्वामी प्रसाद ने आगे कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अनुसार, लखनऊ गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र है। लखनऊ की संस्कृति हमारे देश की पहचान है। आज उन्हीं की पार्टी लखनऊ कर नाम बदल रही है। लखनऊ को लखनऊ ही रहना चाहिए।

मदनी के बयानों का किया समर्थन

स्वामी प्रसाद ने कहा कि सही बात तो यह है कि बुद्ध कहते थे कि 'असो धम्म: सनातन:' यानी कि सबसे पुराना धर्म सनातन है। इससे पुराना कुछ भी नहीं। ईसा से 500 साल पहले बुद्ध, ईसाई, इस्लाम धर्म आया। इसके बाद तमाम धर्म पैदा होते रहे। हर कोई अपने-अपने धर्म को सनातन बोले। उन्होंने मदनी के बयानों का भी समर्थन किया, जिसमें बोला था कि मुस्लिम ही सनातन है।

इन्वेस्टर्स समिट पर कसा तंज

इसके बाद स्वामी प्रसाद ने इन्वेस्टर समिट पर भी तंज कसा। स्वामी ने कहा, इन्वेस्टर समिट से पहले यह पूछा जाए कि रोजगार कितने लोगों को दिया। हमारा प्रदेश विकास के रास्ते पर आए, ये खुशी सबको होगी। लेकिन, कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। आपका काम जमीन पर दिखना भी चाहिए। स्वामी प्रसाद ने कहा कि शुरुआती दौर में जब हम विश्वविद्यालय के छात्र होते थे तो निजी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया जाता था। मगर, आज राष्ट्रीय संपत्ति का निजीकरण हो रहा है। देश के सारे बंदरगाह बिक गए। एयरपोर्ट, एयर इंडिया, रेलवे स्टेशन दे दिया। कई दर्जन ट्रेनें बेच दी। LIC, बैंक दे दिया। आखिर, ये कौन सी सरकार है, जो नौजवानों को नौकरी देने के बजाय अडानी-अंबानी को सब कुछ दिए जा रही है।

Updated On 12 Feb 2023 2:03 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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