लखनऊ, 05 जून (हि.स.)। भारतीय बाल अकादमी व चिकित्सा शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयास से रविवार को गोमतीनगर स्थित होटल लीजेन में चिकित्सा शिक्षकों के लिए नवजात शिशु पुनजीवनीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रदेश के सभी राजकीय व निजी क्षेत्र के मेडिकल कालेजों के बाल रोग व स्त्री रोग विभाग के 200 चिकित्सा शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। नवजात शिशु की मृत्युदर में कमी लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार वचनबद्ध है। एक वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु में दो तिहाई बच्चों की मृत्यु जन्म के प्रथम माह में व प्रथम माह में होने वाली मृत्यु में दो तिहाई मृत्यु प्रथम सप्ताह में होती है। विशेषज्ञों द्वारा किये गये विश्लेषण में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि नवजात शिशु के लिये प्रथम सप्ताह, प्रथम दिवस व पहले कुछ मिनट बहुत ही ध्यान देने योग्य हैं। इस समय ध्यान देने से काफी नवजात शिशुओं को मृत्यु से बचाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में अभी नवजात शिशुओं की मृत्युदर 32 प्रति एक हजार जन्म है जिसे 2030 तक 10 से कम किये जाने का लक्ष्य है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के किसी भी प्रदेश में इस प्रकार के सभी राजकीय व निजी मेडिकल कालेजों के वरिष्ठ चिकित्सकों को एक साथ ट्रेनिंग देने की यह अनूठी पहल है। जिसमें चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य व भारतीय बाल रोग आकदमी एक साथ योगदान कर रहे हैं व इसे आगे और विस्तारित किया जायेगा। उन्होंने आयोजकों के इस कार्य की सराहना करते हुए आश्वस्त किया की सभी चिकित्सालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे।

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने प्रदेश में अब तक के अथक प्रयास व उनके परिणाम बताते हुए अवगत कराया की बाल मृत्यु दर में गत वर्ष 03 अंकों की कमी आयी है जिससे प्रतिवर्ष लगभग 17000 बच्चों को अकाल मृत्यु से बचाया गया।

महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एन.सी. प्रजापति ने सभी मेडिकल कॉलेज के सहयोग के संकल्प की सराहना करते हुए इस मिशन को आगे जारी रखते हुए लक्ष्य की प्राप्ति पर बल दिया। भारतीय बाल रोग अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रमेश कुमार ने उप्र में अब तक के किए गए प्रयास की सराहना करते हुए उप्र के लिए मार्गदर्शिका का विमोचन मुख्य अतिथि द्वारा कराया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय नवजात शिशु फोरम के अध्यक्ष डॉ सिद्धार्थ रामजी, राष्ट्रीय भारतीय बाल रोग अकादमी के महासचिव डॉ विनीत सक्सेना, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय बाल अकादमी उप्र डॉ अल्का अग्रवाल, डॉ नवीन ठक्कर अन्तर राष्ट्रीय बाल अकादमी के अध्यक्ष, डॉ शलभ अग्रवाल व डॉ जगदीश चन्द्रा मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन

Updated On 21 March 2023 7:02 PM GMT
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