लखनऊ,14 जून (हि.स.)। ट्यूबरक्लोसिस को वर्ष 2025 तक देश से खत्म करने के केन्द्र सरकार के संकल्प पर प्रदेश का टीबी विभाग बखूबी काम कर रहा है लेकिन उसे प्राइवेट डाक्टर फलीभूत नहीं होने दे रहे। राजधानी लखनऊ के प्राईवेट डाक्टर भी टीबी मरीजों का सही आंकड़ा नहीं बताते हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ कैलाश बाबू के मुताबिक जनपद में 1786 प्राइवेट डाक्टर, नर्सिंग होम और पैथालाजी पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से 400 से कम डाक्टर व पैथालाजी ही विभाग को नोटिफिकेशन दे रहे हैं। बहुत से डाक्टर तो साल में एक-दो नोटिफिकेशन ही देते हैं। इससे विभाग की सभी मरीजों को कवर करने की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 और 2022 की पहली तिमाही के आंकड़ों पर ही गौर करें तो इन प्राइवेट डाक्टरों की लापरवाही साफ नजर आती है। 2021 में पहली तिमाही में प्राइवेट प्लेयर ने 2596 मरीज नोटिफाई किए थे जो 2022 में घटकर 1315 रह गए हैं। उन्होंने बताया कि किसी सरकारी कार्यक्रम में बाधा पहुंचाना गलत है। प्राइवेट डाक्टरों को इस पर ध्यान देना होगा।

केन्द्र सरकार के गजट टीबी नोटिफिकेशन के अंतर्गत प्रत्येक केमिस्ट एंव ड्रगिस्ट को भी शेड्यूल एच 1 के तहत टीबी मरीज का ब्योरा रखना होगा और जिला टीबी केन्द्र को बताना होगा। गजट में प्रावधान रखे गए हैं कि कोई डाक्टर या नर्सिंग होम या पैथालाजी अगर किसी टीबी मरीज की सूचना जिला टीबी केन्द्र से छिपाता है तो उसे दो साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है।

जिला टीबी अधिकारी ने बताया कि अगर ये डाक्टर जल्द ही विभाग को सूचित नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कुछ नर्सिंग होम और डाक्टरों को नोटिस भेजा भी गया है। जल्द ही उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि सभी 1786 पंजीकृत डाक्टर, नर्सिंग होम और पैथालाजी अपने यहां आए सभी टीबी मरीजों की सूचना जिला टीबी केन्द्र को दें।

गौरतलब है कि इन डाक्टरों को अपने यहां आए मरीजों को जिला टीबी केन्द्र पर नोटिफाई करने पर 500 रुपए बतौर इंसेंटिव दिए जाते हैं। इसके बावजूद इन डाक्टरों का मरीजों को नोटिफाई न करना चिंता का विषय है।

डीटीओ ने बताया कि अब आयुष डाक्टरों को भी जिला टीबी केन्द्र पर मरीजों को नोटिफाई करना है और उन्हें भी हर मरीज को रेफऱ करने पर यही इंसेंटिव दिया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन

Updated On 21 March 2023 7:01 PM GMT
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