कोलकाता, 26 सितंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के स्कूल नियुक्ति घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पैसे की हेराफेरी के रूट के बारे में फोरेंसिक ऑडिट विशेषज्ञों की मदद लेगी। फोरेंसिक ऑडिटिंग लेखांकन मानकों के भीतर एक विशेष क्षेत्र है जिसके माध्यम से कानूनी कार्रवाई में साक्ष्य निकालने के लिए किसी व्यक्ति या संस्था के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच की जाती है। इसे मामले में जांच की धीमी गति पर विभिन्न अदालतों की तीखी आलोचना के मद्देनजर जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए केंद्रीय एजेंसी की ओर से एक हताश पहल माना जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सीबीआई कई कॉर्पोरेट संस्थाओं के खातों की फोरेंसिक ऑडिट करा सकता है जो जांच के दौरान केंद्रीय एजेंसी की जांच के दायरे में हैं। ये कंपनियां मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी और सुजय कृष्ण भद्र से जुड़ी हैं। इनमें से कुछ कॉरपोरेट इकाइयां ऐसी भी हैं जहां चटर्जी, मुखर्जी और भद्रा से जुड़ी कंपनियों ने पर्याप्त मात्रा में निवेश किया था। साथ ही, सूत्रों ने कहा कि सीबीआई के अधिकारी इन कॉर्पोरेट संस्थाओं द्वारा बड़ी मात्रा में दिए गए असुरक्षित ऋणों की भी गहराई से जांच करना चाहते हैं। जांच एजेंसी इस संबंध में तकनीकी सहायता के लिए पहले ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) से संपर्क कर चुकी है। पश्चिम बंगाल में स्कूल भर्ती घोटाले में समानांतर जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ की नाराजगी का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की संपत्ति का अधूरा विवरण प्रस्तुत किया था।

न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि आपकी रिपोर्ट में उनके बैंक खाते के विवरण का कोई उल्लेख नहीं है। क्या यह संभव है कि उसका कोई बैंक खाता न हो? ऐसा लगता है कि आपको भी उनके सटीक आवासीय पते की जानकारी नहीं है।हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा

Updated On 26 Sep 2023 8:04 PM GMT
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