देहरादून 19 सितम्बर (हि.स.)। अब जल की गुणवत्ता उत्पादन पर नजर रखने की परियोजना प्रारंभ हो गई है। देहरादून स्मार्ट सिटी की स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्यूजीशन) परियोजना एक ऑटोमेशन संबंधित एकीकृत स्वचालित प्रणाली है। इस परियोजना में सॉफ्टवेयर के माध्यम से उपकरणों का संचालन किया जाता है। इसके जरिये उत्तराखंड जल संस्थान को एक ही स्थान से जलापूर्ति की पूरी जानकारी मिल रही है। मसलन, किस क्षेत्र में कितना पानी सप्लाई हुआ, बूस्टरों में कितना पानी है, किस इलाके में कितना पानी जा रहा है। लीकेज आदि की जानकारी भी दाब नियंत्रण उपकरणों के माध्यम से सॉफ्टवेयर में प्रदर्शित होती है, जिससे नियंत्रण कक्ष में आसानी से सारी जानकारी उपलब्ध हो रही है।

वाटर स्काडा सिस्टम का मूल उद्देश्य बिजली की बचत के साथ -साथ पेयजल की बर्बादी पर भी अंकुश लगाना है। अभी तक किस क्षेत्र में कितना पानी सप्लाई हो रहा है, इसकी जानकारी नहीं होती है लेकिन स्काडा सिस्टम से इसके बारे में आसानी से पता चल रहा है।

मौजूदा समय में एस्को मॉडल स्काडा परियोजना के अंतर्गत जल संस्थान के 206 ट्यूबवेल, 11 बूस्टर पंपिंग स्टेशन और 72 ओवरहेड टैंक का स्वचालन अत्यधिक ऊर्जा दक्ष उपकरणों के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित था, जिस कार्य को पूर्ण कर वर्तमान में ट्रायल रन किया जा रहा है। इनके जरिये शहर में पेयजल सप्लाई की जाती है। पानी की सप्लाई में वर्तमान में सालाना लगभग 35 करोड़ रुपये की बिजली खर्च होती है। हालांकि स्काडा सिस्टम के जरिये लगभग 15-20 प्रतिशत बिजली की बचत वर्तमान में की जा रही है।

स्काडा परियोजना में पंपिंग स्टेशन और मशीनरी की वार्षिक मरम्मत पर लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जिसे परियोजना पूर्ण होने के पश्चात स्काडा सिस्टम लगाने वाली पीपीपी कंपनी द्वारा अपने स्तर पर 10 वर्ष तक किया जाएगा। इससे विद्युत के साथ -साथ सरकारी धन की भी बचत होगी। इसमें जलापूर्ति पर स्काडा सिस्टम द्वारा जल उत्पादन एवं गुणवत्ता पर 24×7 नजर रखी जा रही है, जिससे पाइपलाइन के प्रेशर और लीकेज का पता लगाया जाना अब आसान हो गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/दधिबल

Updated On 20 Sep 2023 12:17 AM GMT
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