लखनऊ, 26 मई (हि.स.)। माँ अपने बच्चों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में को कोट्टयम यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व कर रहे हृदय हज़ारिका की कहानी सुन लीजिए।

'खोलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स' में शुक्रवार (26 मई 023) को हृदय हज़ारिका ने 10 मीटर राइफल में गोल्ड मेडल जीत कर माँ की झोली में खुशियों की सौगात डाल दी है। ह्रदय खुश है, पर अपनी माँ की कुर्बानी का प्रतिफल वह ओलंपिक मेडल जीत कर देना चाहते हैं। 10 मीटर राइफल शूटिंग के फाइनल में वह शुरू के दो राउंड को छोड़ दिया जाय तो उसके बाद से सभी राउंड में वह नम्बर वन पर ही बने रहे और इसका नतीजा यह हुआ कि अपने प्रतिद्वंद्वी अर्जुन बाबुटा को शिकस्त देकर पहला पायदान हासिल कर लिया। ह्रदय का टोटल स्कोर 252.2 रहा।

10 मीटर एयर राइफल में जूनियर पदक हासिल कर चुके हृदय हज़ारिका की ख्वाहिशों को पूरा करने और उसे खेलों की दुनिया में उड़ान भरने के लिए उनकी मां ने अपनी वर्षाें की जमी जमाई सरकारी नौकरी छोड़ दी है और अब उसका ख्वाब अपने बेटे को ओलम्पिक में पदक जीत कर देश का नाम रोशन करने का है।

हृदय बताते हैं कि किस तरह से 11 साल पहले उनकी यात्रा शुरू हुई। जब वह पढ़ रहे थे तो एक दिन उनके पिता जी उन्हें शूटिंग रेंज में ले गए थे और फिर उसके बाद उनके अंदर खेल को लेकर ऐसी ललक जगी कि उन्होंने इसे ही अपने जीवन का मकसद बना लिया। हृदय अपनी ख्वाहिश को पूरा करने में माँ की अहम भूमिका मानते हैं। वह कहते हैं कि अगर माँ नहीं होती तो वह इतने महंगे गेम के बारे में सोच भी नहीं सकते थे।

जब उन्होंने माँ के सामने राइफल शूटिंग के बारे में जिक्र किया तो माँ ने बगैर कुछ सोचे समझे हां कर दी। फिर क्या था हृदय हज़ारिका जुट गए अपने सपने को साकार करने में और आज उनकी झोली में कई पुरस्कार हैं। ह्रदय हज़ारिका खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजकों द्वारा किये गए इंतजाम से काफी खुश हैं। खासकर यूनिवर्सिटी के खिलाड़ियों के लिए जिस तरह का इंतजाम सरकार की ओर से किया गया है वह हम लोगों को यह अहसास दिलाता है कि हम जैसे खिलाड़ी भी सरकार के लिए मायने रखते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश

Updated On 26 May 2023 8:08 PM GMT
Agency Feed

Agency Feed

Next Story