-वर्ष 2019 में प्राकृतिक खेती करने वाले 35,000 किसानों से 2023 में 8.70 लाख किसान

-राज्य सरकार ने 27 लाख से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए किया प्रशिक्षित

गांधीनगर, 15 सितंबर (हि.स.)। भोजन की उपलब्धता, पहुंच और खपत किसी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। लगातार बढ़ती जनसंख्या पहले से ही संतृप्त प्राकृतिक खाद्य संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। इसलिए, बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के वैकल्पिक साधन खोजने की आवश्यकता सर्वोपरि है। बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के लिए सबसे कुशल और टिकाऊ तरीकों में से एक प्राकृतिक खेती है। प्राकृतिक खेती एक रसायन-मुक्त पारंपरिक कृषि पद्धति है जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखती है, भोजन में पोषक तत्वों को बरकरार रखती है और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखती है।

प्राकृतिक खेती को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए गुजरात ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और राज्यपाल आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई समर्पित प्रयास किए। राज्य सरकार के विभिन्न प्रयासों के फलस्वरूप पिछले 4 वर्षों में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का प्रतिशत 2425 फीसदी से भी बढ़ गया है। यानी 2019 में 35,000 से बढ़कर यह अगस्त 2023 में 8,71,316 हो गया है।

वलसाड के कपराडा के किसान रघुनाथ जनुभाई भोया ने सरकार द्वारा आयोजित प्राकृतिक खेती से संबंधित प्रशिक्षण लिया। देसी गाय रखरखाव योजना का लाभ लेते हुए उन्होंने अपनी गाय के लिए प्रति वर्ष 10,800 रुपये की आर्थिक सहायता का लाभ लिया। वे कहते हैं, “प्रशिक्षण से गुजरने के बाद, मैंने घन-जीवामृत बनाने के लिए गाय के गोबर और गौ-मूत्र का उपयोग किया। मैं इसे संग्रहित करता हूँ और पूरे वर्ष अपनी फसलों के लिए इसका उपयोग करता हूँ। इससे मिट्टी और सब्जियों की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है और मैं, इससे बेहतर आय हासिल करने में भी समक्ष बन सका हूँ।”

उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक खेती करने वाले रघुनाथ को वर्ष 2019-20 में और जतिनभाई जयंतीलाल कोळी को 2020-21 में राज्य सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ एटीएमए (आत्मा) पुरस्कार और जिला स्तर पर ₹25,000-₹25000 के चेक से भी सम्मानित किया गया है।

राज्य सरकार ने पूरे गुजरात में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेन्ट एजेन्सी) के तहत विभिन्न योजनाएं लागू की हैं। कुछ पहल इस प्रकार हैं:

देसी गाय रखरखाव योजना : 2020-21 में शुरू की गई देसी गाय रखरखाव योजना के तहत, सरकार ने पिछले तीन वर्षों में प्राकृतिक खेती करने वाले 1.84 लाख से अधिक किसानों को ₹420 करोड़ की सहायता प्रदान की है। इस साल, सरकार ने इसके लिए ₹203 करोड़ आवंटित किए हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम: गुजरात सरकार के कृषि और संबद्ध विभाग किसानों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। इसी क्रम में एक उल्लेखनीय पहल क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण है, जहां किसान प्रशिक्षण की सुविधा के लिए 10 ग्राम पंचायतों वाले 1466 क्लस्टर बनाए गए हैं। प्रत्येक क्लस्टर के भीतर, दो विशेषज्ञ, अर्थात् एक तकनीकी मास्टर ट्रेनर और एक किसान मास्टर ट्रेनर, अपना ज्ञान और विशेषज्ञता प्रदान करते हैं। उल्लेखनीय है कि, अगस्त 2023 तक 51,548 प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से 13,37,401 किसान इस कार्यक्रम से लाभान्वित हुए हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसान प्रशिक्षण का समर्थन करने के लिए कई अन्य कार्यक्रम भी लागू किए हैं। इनमें एटीएमए योजना और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से दी जाने वाली प्रशिक्षण जैसी पहल शामिल हैं, जो राज्य भर में किसानों के कौशल विकास में योगदान करती हैं। इन संयुक्त प्रयासों के माध्यम से, गुजरात में 27 लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिससे उन्हें सतत और पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए सशक्त बनाया गया है।

विभिन्न गतिविधियां होती है संचालित: प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए गुजरात प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड विभिन्न गतिविधियों जैसे प्रशिक्षण, एक्सपोजर विजिट, कॉन्क्लेव, कार्यशालाएं, मेगा सेमिनार, कृषि मेले, मॉडल फार्म आदि का संचालन करता है। राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में इसके लिए ₹59 करोड़ आवंटित किए हैं। राज्य सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को खरीफ और रबी सीजन के दौरान प्रति हेक्टेयर प्रति किसान ₹5000 की सहायता भी प्रदान करती है। पिछले दो वर्षों में 16,188 किसानों को 18.57 करोड़ रुपए की सहायता मिली है।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/संजीव

Updated On 16 Sep 2023 12:07 AM GMT
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