एनआईटी श्रीनगर में 15 दिवसीय हिंदी पखवाड़ा हुआ शुरू

श्रीनगर, 19 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर में मंगलवार को 15 दिवसीय हिंदी पखवाड़ा उत्सव की शुरुआत हुई। यह कार्यक्रम राजभाषा सेल द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 29 सितंबर तक निर्धारित गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल है।
उद्घाटन दिवस पर गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता एमएनएनआईटी इलाहाबाद के हिंदी अधिकारी प्रकाश चंद्र मिश्रा ने की, जिन्होंने इस कार्यक्रम के लिए मुख्य संसाधन व्यक्ति के रूप में कार्य किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने पत्राचार के विभिन्न रूपों और आधिकारिक संचार में सरलीकृत हिंदी के प्रयोग पर अपना संबोधन दिया।
कार्यशाला में विभागीय समन्वयक राजभाषा प्रकोष्ठ और पंजीकृत प्रबोध कर्मचारियों ने भाग लिया। एनआईटी श्रीनगर के हिंदी अधिकारी आरपी शुक्ला और डॉ. नासिर एफ बट कार्यक्रम समन्वयक थे। मौके पर डॉ. ब्रजेश कुमार, डॉ. जुबैर अंसारी व डॉ. सबजार भी मौजूद थे।
अपने संबोधन में पीसी मिश्रा ने दुनिया भर में कई लुप्तप्राय भाषाओं की दुर्दशा पर प्रकाश डाला। कई देशी भाषी उन्हें संरक्षित करने में झिझक रहे हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण दिया जहां एक समय 600 से अधिक स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती थीं। हालाँकि, आधुनिक भाषाओं के प्रभाव के कारण, केवल कुछ दर्जन भाषाएँ ही बची हैं।
उन्होंने कहा कि राजभाषा को बढ़ावा देने और सुरक्षित रखने के लिए हमें इंडो-अरेबियन लिपियों सहित अन्य भाषाओं के शब्दों को अपनाना और शामिल करना होगा। पी.सी. मिश्र ने विशेषकर गैर-हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी को और अधिक सुलभ बनाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें इसकी समझ बढ़ाने के लिए उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के शब्दों को अपनाना चाहिए।
संसाधन व्यक्ति ने कहा कि हिंदी को संस्कृत का हश्र नहीं झेलना चाहिए जो बहुसंख्यकों के लिए समझ से बाहर हो गई है। हिंदी की ताकत इसकी अनुकूलनशीलता में निहित है क्योंकि यह विभिन्न भाषाओं के शब्दों को आसानी से आत्मसात कर लेती है जिससे इसे आसानी से समझा जा सकता है। पी.सी. मिश्रा ने यह भी प्रस्ताव दिया कि यदि आवश्यक हो तो संचार अंतराल को पाटने के लिए अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी लिपि में अनुवादित किया जा सकता है।
इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन भाषण हिंदी अधिकारी आर.पी. शुक्ला ने दिया। उन्होंने अतिथि का परिचय कराया और बताया कि 29 सितंबर तक विभिन्न गतिविधियां प्रस्तावित हैं। डॉ. शुक्ला ने परिसर में इस तरह की पहल का समर्थन करने के लिए निदेशक एनआईटी श्रीनगर, प्रोफेसर सुधाकर येदला का भी आभार व्यक्त किया।
हिन्दुस्थान समाचार/अमरीक/बलवान
