बीकानेर, 27 मई (हि.स.)। शहर की पावन धरा पर तुलसी पीठाधीश्वर, पद्मविभूषित जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी महाराज का आगमन होने जा रहा है। पूज्य गुरु महाराज श्रीरामदासजी महाराज के सान्निध्य में एवं महामंडलेश्वर सरजूदासजी महाराज की अगुवाई में 19 नवम्बर से 27 नवम्बर तक 108 कुंडीय महायज्ञ, श्रीमद् रामचरित मानस महायज्ञ एवं विराट संत सम्मेलन किया जाएगा। जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी के श्रीमुख से श्रीराम कथा का वाचन होगा।

इस संबंध में स्टेशन रोड स्थित वृंदावन होटल में प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर सरजूदासजी महाराज ने बताया कि उक्त सभी आयोजन सुजानदेसर स्थित रामझरोखा कैलाशधाम की सियारामजी गोशाला में होंगे। उक्त आयोजनों से पूर्व 29 मई 2023, सोमवार को सुबह सवा ग्यारह बजे ध्वजारोहण, भूमिपूजन एवं रात्रि में विराट भजन संध्या का आयोजन होगा। संत प्रकाशदासजी महाराज एवं नवदीप बीकानेरी द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएगी। इसमें मुख्य रूप से खेड़ापति धाम, सामोद के अखिल भारतीय महामंडलेश्वर श्रीश्री 108 श्री महंत प्रेमदासजी महाराज, खोजी द्वारा जारी अनंत विभूषित त्रिवेशी धाम शाहपुरा के स्वामी श्रीराम रिछपाल जी महाराज, दाऊधाम राजस्थान से अनंत विभूषित जगद्गुरु बाहुबल द्वाराचार्य पीठधीश्वर बलदेवाचार्यजी महाराज, रैवासा धाम से अग्रपीठाधीश्वर स्वामी श्री राघवाचार्यजी वेदान्ती सहित अनेक साधु-संतों का सान्निध्य मिलेगा।

आयोजन से जुड़े अखिलेश प्रतापसिंह ने बताया कि लगभग पांच माह बाद 19 नवम्बर से होने जा रहे इस आयोजन में हजारों संत-महात्माओं का आगमन होगा। खास बात यह है कि धार्मिक आयोजन में जन-जन अपनी भागीदारी निभा रहा है। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी शिव अग्रवाल ने बताया कि बीकानेर के समाजसेवियों एवं भामाशाहों के सहयोग से नौ दिवसीय धार्मिक आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं को धर्मलाभ मिलेगा। प्रेसवार्ता के दौरान पोस्टर का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य, सुभाष मित्तल, जेठानन्द व्यास, अशोक सांखला, महावीर एडवोकेट, पार्षद राजेश कच्छावा, चाँदमल भाटी एवं नरेश पुरोहित उपस्थित रहे।

30 मई को कोटधूनी तप की होगी पूर्णाहुति

महामंडलेश्वर श्री सरजूदासजी महाराज का बसन्त पंचमी से गंगादशहरे तक रोजाना तीन घंटे तक कोट धुनि का अनुष्ठान चलता है। यह तप गत सोलह वर्षों से करते आ रहे हैं। लगातार चार माह तक चलने वाले इस तप को 18 वर्षों तक किया जाता है। साधना में मूल रूप से राम नाम के मंत्र का जप किया जाता है। यह तप स्वयं के लिए नहीं बल्कि संसार कल्याण के लिए किया जाता है। इस तप की पूर्णाहुति 30 मई को गंगादशहरे पर होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

Updated On 27 May 2023 3:38 PM GMT
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