कलाकृतियों का सृजन भारतीय संस्कृति में समावेश : डाॅ0 क्षमा द्विवेदी

--अवध विवि में दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान का शुभारम्भ
अयोध्या, 26 मई (हि. स.)। भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप बसुधैव कुटुम्बकम् को ध्यान में रखते हुए चित्रकला, मूर्तिकला एवं व्यवहारिक कला से उत्प्रेरित है। इसमें विभिन्न प्रकार की कलाकृत्तियों का सृजन भारतीय संस्कृति के समावेशी कलात्मक स्वरूप को विश्लेषित करता है। यदि हमें अपनी कलाओं की ओर विकसित करना है तो कला के सामान्य विधाओं की जानकारी अवश्य प्राप्त करनी होगी।
यह बातें मुख्य वक्ता आई0के0एस0 विश्वविद्यालय थैरागढ़, छत्तीसगढ़ की डॉ क्षमा द्विवेदी ने डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के ललित कला (फाईन आर्टस) तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ’’समकालीन भारतीय कला’’ विषय पर दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान का शुभारम्भ करते हुए कही। उन्होंने भारतीय समकालीन कला के लोकतत्व के विभिन्न आयामों पर प्रकाश भी डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत भारतीय कला के विभिन्न कलाओं को विभिन्न स्तरों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जा रहा है, जिससे हम अपनी कलात्मक संस्कृति एवं परम्पराओं को वास्तव में संरक्षित कर सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं एवं आयोजन समिति के सदस्यों को बताया कि समकालीन भारतीय कला विषय पर आयोजित व्याख्यान आप सभी के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ0 सरिता द्विवेदी ने बताया कि भारतीय कला का वैदिक स्वरूप भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित विशद् व्याख्या है, जिसे समकालीन कलाकारों द्वारा अपनी विभिन्न कलात्मक विधियों में समाहित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि अवध की लोक चित्रकलाएं अपने आप में समकालीनता के साथ अपनी संस्कृति को वर्तमान परिदृश्य में संरक्षित कर रही है।
ललित कला विभाग के समन्वयक एवं अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्वत ने बताया कि दो दिवसीय विशिष्ट व्याख्यान में मुख्य वक्ता द्वारा शनिवार को भारतीय समकलीन कलाकारों पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया जायेगा। इसके अतिरिक्त छा़त्र-छात्राओं के व्यवहारिक कलाकृतियों के निर्माण का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ सरिता द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन रीना सिंह ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ अनिल कुमार, डॉ अलका श्रीवास्तव, नित्या द्विवेदी, सरिता सिंह, आलोक कुमार, दिलीप पाल एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/पवन
/विद्याकांत
