-फिजी, सूरीनाम, गुयाना, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ बढ़ायेगा शैक्षणिक गतिविधि

-त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर जल्द

गोरखपुर, 19 सितम्बर (हि.स.)। दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अब अंतर-राष्ट्रीय विद्यार्थियों को आकर्षित करने के प्रयास को तेज करने का मन बनाया है। पहले चरण में यूनिवर्सिटी द्वारा गिरमिटिया देश फिजी, सूरीनाम, गुयाना, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ शैक्षणिक गतिविधि बढ़ायेगा। इतना ही नहीं, गोरखपुर विश्वविद्यालय जल्दी ही त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाला है।

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि एमओयू के तहत जॉइंट डिग्री प्रोग्राम तथा स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम को शुरू करने पर सहमति बनने की उम्मीद है। त्रिभुवन यूनिवर्सिटी ने इसके लिए सहमति जता दी है। उन्होंने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में हमेशा से पड़ोसी देश नेपाल से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते रहे हैं। कोशिश है इसको और बढ़ावा दिया जाये। दीक्षांत समारोह में भी महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने तीन नेपाल के शोधकर्ताओं को उपाधि प्रदान किया है।

नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव के साथ मजबूत सहयोग

कुलपति प्रो. टंडन के दिशा-निर्देशन में गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय सेल की दो प्राथमिकताएं निर्धारित की गई है। पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव के साथ एक मजबूत सहयोग (छात्र-संकाय आदान-प्रदान) बनाने की योजना पर भी काम शुरू है।

गिरमिटिया देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का प्रयास

गोरखपुर विश्वविद्यालय का अंतरराष्ट्रीय सेल ने भारतवंशियों से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भी काम करने का मन बनाया है। यह प्रयास विशेष रूप से गिरमिटिया देशों फिजी, सूरीनाम, गुयाना, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ अधिक मजबूत करने की है।

एमओयू के लिए चल रही बातचीत

कुलपति ने बताया कि इन देशों के शिक्षण संस्थानों से एमओयू के लिए बातचीत चल रही है। अंग्रेजी शासन के दौरान इन देशों में भारी मात्रा में भारतवंशी भेजे गये थे। ये गिरमिटिया मजदूर के रूप में वहां गए थे और आज वह काफी प्रभावशाली है। भारत से सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं भावनात्मक रूप से लगाव भी रखते हैं। वे अब भारत के शिक्षण संस्थानों से जुड़ना चाहते हैं।

''नो इंडिया प्रोग्राम'' में भाग लेगा गोरखपुर विश्वविद्यालय

कुलपति कर मुताबिक गोरखपुर विश्वविद्यालय विदेश मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ''नो इंडिया प्रोग्राम'' (भारत को जानिए) कार्यक्रम (केआईपी) में भाग लेगा जिसमें प्रवासी भारतीय छात्र गौरवशाली भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में जानने के लिए भारत आते हैं।

रैंकिंग में विकासशील देशों की महत्वपूर्ण भूमिका

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय रैंकिंग जैसे एनआईआरएफ तथा क्यूएस रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन के लिए परसेप्शन (धारणा) की महत्वपूर्ण भूमिका है। क्यूएस रैंकिंग में लगभग 50-60 प्रतिशत मूल्यांकन परसेप्शन पर निर्भर करता है। जिसमें विकासशील देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसलिए इंटरनेशनल सेल विकासशील देशों के छात्रों और संकायों को आकर्षित करने के लिए एक विंडो खोलने के लिए अग्रसर है।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ आमोदकान्त/आकाश

Updated On 20 Sep 2023 12:04 AM GMT
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