कठुआ, 02 जून (हि.स.)। जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्त की गई इमारत के बाद बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। जिला प्रशासन ने पहले इमारत तोड़े जाने के विरोध में आए शहर वासियों को शांत करवाया। उसके बाद इमारत को पूरी तरह ध्वस्त करने से पहले इमारत से सटे घरों में रहने वाले लोगों को घर खाली करने की अपील की गई। जिसके बाद लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

शाम को ध्वस्त हुई इमारत से सटे घरों में रहने वाले लोगों ने भी जिला प्रशासन के खिलाफ रोष व्यक्त किया। लोगों का कहना था कि एक तो पहले इमारत को गलत तरीके से तोड़ दिया गया, हालांकि मार्ट खुलने से इसी मुहल्ले के आसपास के लोगों को नौकरियां भी मिलनी थी। लेकिन इमारत ध्वस्त होने के बाद ना तो नौकरी रही और इमारत से सटे जो घरों पर भी अब खतरा मंडरा रहा है। दरअसल जब प्रशासन ने इमारत को गिराने का अभियान शुरू किया तो उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई भी एहतियातन नहीं भर्ती। जब इमारत को गिराया जा रहा था तो बीच मझधार में ही लोगों का विरोध तेज हो गया इसके बाद बड़ी बड़ी जेसीबी मशीनों को वापस भेज दिया गया। उन जेसीबी मशीनों ने इमारत को पूरी तरह से ध्वस्त नहीं किया जिसके चलते पूरी इमारत खतरे की घंटी बन गई। इमारत के सबसे निचले तले के सभी पिल्लरों को तोड़ दिया गया जिसकी वजह से इमारत का ऊपर का हिस्सा हवा में हो गया। जिसके चलते प्रशासन के लिए इस इमारत को पूरी तरह से ध्वस्त करना उनकी मजबूरी बन गई। लेकिन इसी इमारत से सटे कुछ मकानों को भी नुकसान पहुंचेगा जिसके चलते प्रशासन ने मकानों को खाली करने के लिए अपील कर दी। स्थानीय लोग का कहना है कि उन्हें प्रशासन पर भी विश्वास नहीं है जिन्होंने रात के अंधेरे में इतनी बड़ी बिल्डिंग गिरा दी। इस बात की गारंटी कौन लेगा कि अगर इमारत को पूरी तरह ध्वस्त करने के दौरान उनके मकानों को कोई नुकसान पहुंचता है तो उन्हें मरम्मत कौन करवाएगा। वहीं मौके पर पहुंचे एडीसी कठुआ और तहसीलदार ने लोगों को उनके घरों को सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया लेकिन लोग लिखित में मांग कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सचिन/बलवान

Updated On 2 Jun 2023 9:10 PM GMT
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