खूंटी, 29 मई (हि.स.)। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश पर कृषि विज्ञान केंद्र खूटी और राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान नामकुम रांची की ओर से सामूहिक रूप से खूंटी जिले में मोटे अनाज को लेकर चलाये जा रहे जागरुकता कार्यक्रम का समापन सोमवार को हो गया।

समापन समारोह जिले के अति नक्सल प्रभावित अड़की प्रखंड के कोचांग गांव में किया गया। केंद्र के प्रभारी डॉ. ज्योतिर्मय घोष ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के अंतर्गत यह पखवाड़ा किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया गया। पखवाड़े के तहत खूंटी जिले के लगभग पांच सौ किसानों को मोटे अनाज के प्रति जागरूक किया गया। अब तक मोटे अनाज की खेती में किसान सिर्फ मडुवा को प्रमुखता से उगाते थे, लेकिन अब यहां के किसान बाजरा, जौ, कुटकी, सवां भी उगानें को उत्सुक हुए हैं।

किसानों से मोटे अनाज को प्राकृतिक खेती सह जैविक खेती के तरीकों को अपनाते हुए खेती करने का आग्रह किया गया। उन्हें अपनें घर में मौजूद संसाधन से ही कीटनाशक बनाने की विधि बताई गई, उसके फायदें सुझाये गए। मौसम वैज्ञानिक डॉ राजन चौधरी ने बताया कि बदलते मौसम और असामयिक बारिश के कारण कृषि में मोटे अनाज एक बेहतर विकल्प साबित हो रहे हैं। कम पानी के साथ ही सीमित रोग ब्याधि के कारण भी किसानों का इसकी खेती की ओर झुकाव हो रहा है। अब मोटे अनाज को बाज़ार की दिक्कत नहीं है। यह बाज़ार में काफी महंगा भी बिक रहा है।

इसमें कीटनाशक की ज़रूरत लगभग नहीं के बराबर होती है और यह कम पानी में तैयार हो जाता है और स्वास्थ्य के लिहाज से भी गुणकारी है। पारंपरिक खाद्यान गेहूं और चावल से अधिक समृद्ध हैं मोटे अनाज। डॉ चौधरी ने बताया कि मिलेट फसलों में पोषक तत्त्व की प्रचुर मात्रा होने के कारण इसे भगवान का अन्न अर्थात श्री अन्न का नाम दिया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

Updated On 29 May 2023 7:36 PM GMT
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