गुप्तकाशी, 27 मई(हि.स.)। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने पर स्थानीय हक-हकूक धारियों ने आपत्ति जताई है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं तुंगनाथ मंदिर के पुजारी हरीवल्लभ मैठाणी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखकर आप अपनी आपत्ति दर्ज की है।

पत्र में कहा गया कि सैकड़ों वर्षों से 86 गोठ गांव के हक-हकूक धारियों ने वंश दर वंश परंपराओं को कायम रखते हुए इस पौराणिक मंदिर की पूजा-अर्चनाएं, तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं। इतना ही नहीं मंदिर के चारों ओर स्वच्छता और साफ-सफाई को मध्य नजर रखते हुए हकदारी निस्वार्थ भाव से मंदिर के चारों सफाई का ध्यान रखते हैं। और प्राप्त कूड़े का भलीभांति निस्तारण भी करते हैं।

पत्र में कहा गया कि पौराणिक परंपराओं को मद्देनजर रखते हुए स्थानीय हक-हकूकधारी लोगों और पुजारियों द्वारा तुंगनाथ मंदिर में कार्य किए जा रहे हैं ,लेकिन कुछ दिन पूर्व से लगातार सुनने को मिल रहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने को लेकर कवायद तेज कर दी है।

पत्र में कहा गया कि पुरातत्व विभाग ने मंदिर को सुविधा संपन्न बनाने के साथ-साथ इसके सर्वांगीण विकास के लिए समस्त हक-हकूकधारी खुशी व्यक्त करते हैं, लेकिन इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने से स्थानीय लोगों के हक-हकूकों पर कुठाराघात होना लाजमी है। ऐसे में 86 गोठ गांव की हकूकधारी इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने का विरोध दर्ज कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि यदि जबरदस्ती स्थानीय लोगों के आस्था पर कुठाराघात होता है, तो वह जनांदोलन छेड़ने को बाध्य हो जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिपिन सेमवाल/रामानुज

Updated On 27 May 2023 12:22 PM GMT
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