--बजरंग दल कार्यकर्ताओं का शौर्य प्रशिक्षण शिविर

प्रयागराज, 26 मई (हि.स.)। बजरंग दल के ऊपर हिंदू समाज और संस्कृति के संवर्धन संरक्षण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। युवाओं ने समय-समय पर इतिहास लिखे हैं और बजरंग दल श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से लेकर आज तक हिंदू मान बिंदुओं की रक्षा के लिए अनेकों संघर्ष करता आया है।

यह बातें विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री काशी प्रांत मुकेश कुमार ने बजरंग दल कार्यकर्ता को शौर्य प्रशिक्षण शिविर में सम्बोधित करते हुए कही। नैनी स्थित माधव ज्ञान केंद्र इंटरमीडिएट कॉलेज में आठ दिवसीय शिविर में शुक्रवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बजरंग दल की स्थापना 8 अक्टूबर 1984 को रामजानकी यात्रा की सुरक्षा को लेकर हुई थी। त्रेतायुग में भगवान श्री राम जी हनुमान से मिले उस समय भी बजरंग दल था और इस कलयुग में भी बजरंग दल है। बजरंग दल की यात्रा यहीं नहीं रुकी। एकात्मता यात्रा, बाबा बूढ़ा अमरनाथ यात्रा, अमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रा, रामसेतु संरक्षण यात्रा, संत चेतावनी यात्रा, गोरक्षा जागरण यात्रा, लव जिहाद एवं आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अपनी स्थापना से लेकर आज तक बजरंग दल यात्रा निकाल रहा है।

प्रांत संगठन मंत्री ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में बजरंगियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। जिसका परिणाम आज पूरी दुनिया को दिख रहा है। आज बजरंग दल का प्रशिक्षित नौजवान किसी भी जेहादी आतंकवाद को चुनौती देने में सक्षम है। बजरंग दल का प्रशिक्षित नौजवान संस्कार युक्त होता है और समय-समय पर अपने प्रशिक्षण का उपयोग अनेक अवसरों पर करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बजरंग दल के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारियां हैं। समाज से गौ हत्या, धर्मांतरण, लव जिहाद और सामाजिक भेदभाव समाप्त हो, इसके लिए बजरंग दल को अनेकों कार्य करने हैं। जागरण करना है संघर्ष करना है इसकी तैयारी इसी प्रशिक्षण के प्राप्त करने से होती है।

बजरंग दल के काशी प्रांत संयोजक सत्य प्रताप आपदा प्रबंधन एवं प्राथमिक चिकित्सा के विषय में कहा कि कोविड के समय जब अपने ही अपनों से दूर थे तो अप्रत्यक्ष रूप से बजरंग दल सामने आकर कहीं न कहीं समाज में उस दूरी को समाप्त कर सेवा का कार्य किया। आपदा किसी प्रकार की हो या आतंकवाद से कैसे सुरक्षित रखना है और सेवा के कैसे कार्य करने हैं, इसके लिए हम अपने प्राणों की आहुति भी देकर अपने समाज और संस्कृति की रक्षा करते हैं। तभी हमारी तुलना त्रेता युग के उस बांध दल से की जाती है। जैसे उस समय उन्होंने धर्म की स्थापना के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का साथ दिया था। इस दौरान प्रमुख रूप से बजरंग दल के संयोजक आनंद, देव आनंद, अभिमन्यु शाही, विनय, राम, उमाकांत, सत्येंद्र, चंदन, मोहनलाल पटेल अमित पाठक, विकास, प्रदीप आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन

Updated On 26 May 2023 7:57 PM GMT
Agency Feed

Agency Feed

Next Story