पंचकूला, 2 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा के पूर्व उप-मुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और जजपा की सरकार के दौरान, जिस प्रकार से किसानों, गरीबों और श्रमिकों का उत्पीडन हो रहा है, भृष्टाचार चरम सीमा पर है और बेरोजगारों के साथ पेपर लीक के नाम पर भद्दा मजाक किया जा रहा है। इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लग गया है। वे गुरुवार को कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ उपायुक्त को राज्यपाल के नाम ज्ञापन देने के पश्चात कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे।

ज्ञापन में मांग की गई है कि हरियाणा सरकार द्वारा संशोधित भूमि अधिग्रहण बिल जो इस मानसून सत्र में विधानसभा में पास किया गया है, उसको स्वीकृति प्रदान न की जाए और उसे वापिस भेजा जाए और किसानो पर 28 अगस्त को किए गए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज की निष्पक्षता से जांच करवाकर दोषियों को सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2014 में जिस समय सत्ता छोड़ी थी, उस समय प्रदेश पर कर्ज केवल मात्र 70 हजार करोड़ रुपए था। इस तरह से 48 सालों में प्रदेश पर कुल कर्ज 70 हजार करोड़ रुपए था और वर्तमान सरकार के 7 सालों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में कर्ज बढ़कर लगभग 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सरकार जब चाहे, जिस समय चाहे किसानों पर लाठीचार्ज बरसवा कर अन्नदाता को उसकी औकात बता देती है। उन पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक किसान विरोधी है तथा जनभावनाओं के विपरित है और यह कांग्रेस पार्टी द्वारा 2013 में किसानों के हित में संसद में पास किए गए विधेयक की मूल भावना के विरुद्ध है। किसान पहले ही तीनों काले कानूनों से परेशान हैं और यह चौथा काला कानून किसानों के लिए मौत का वारंट सिद्ध होगा। इस प्रतिनिधि मंडल में कालका विधायक प्रदीप चौधरी, हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुधा भरद्वाज, पूर्व चेयरमैन विजय बंसल, शशी शर्मा, पूर्व मेयर उपीनदरं कोर आहलुवालिया, नगर परिषद की पूर्व अध्यक्षा मनवीर कोर गिल, हेमन्त किगरं, निले सैनी आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रमेश/संजीव

Updated On 11 Jun 2023 12:54 PM GMT
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