संशोधित...संशोधित...

( सम्पादकगण... कृपया पूर्व में स्टोरी कोड 29HNAT19 के तहत जारी समाचार को रद्द कर दें और उसके स्थान पर यह समाचार लें)

नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। भारत सरकार के मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने शुक्रवार को लाहली गांव, रोहतक और आईसीएआर-सीआईएफई, रोहतक, हरियाणा के क्षेत्रीय केंद्र में झींगा फार्मों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने खारे पानी वाले झींगा पालक किसानों की जमीनी स्तर की समस्याओं को समझने का प्रयास किया और मौके पर किसानों को एनएएचईपी योजना के तहत केंद्र द्वारा उत्पादित वंशावली कॉमन कार्प बीज भी वितरित किया।

उन्होंने यहां पर मछली पालक किसानों से बातचीत में एक्वाफार्मिंग के माध्यम से बंजर भूमि को धन में बदलने की भविष्य की योजना पर जोर दिया। उनके दौरे के दौरान आईसीएआर-सीआईएफई के वैज्ञानिकों ने बताया कि देश में मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 8.62 मिलियन हेक्टेयर भूमि लवणीकरण से प्रभावित हुई है। इन प्रदेश में खारे भूजल को जलीय कृषि प्रथाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सकता है, जिसमें जल का एक बड़ा हिस्सा जलीय कृषि तालाबों से वाष्पित किया जा सकता है और आय पैदा करने वाली मछली झींगा पैदा की जा सकती हैं।

वर्तमान में चार उत्तर भारतीय राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी से 2167 हेक्टेयर खारे पानी के जलीय कृषि से प्रति वर्ष 8554.15 मीट्रिक टन झींगा का उत्पादन किया जाता है। इन चार राज्यों में 58000 हेक्टेयर क्षेत्र खारे पानी की जल कृषि के लिए उपयुक्त है। इसलिए इन चार राज्यों के अंतर्देशीय लवणीय क्षेत्रों में झींगा पालन और मछली पालन की पर्याप्त गुंजाइश है। इन क्षेत्रों में खारे पानी के जलीय कृषि में प्रजातियों के विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए, मत्स्य पालन विभाग ने 9.29 करोड़ रुपये की कुल लागत पर अंतर्देशीय खारा जलीय कृषि के लिए कॉमन कार्प साइप्रिनस कार्पियो के आनुवंशिक सुधार के लिए सीआईएफई, रोहतक को पीएमएमएसवाई के तहत एक परियोजना को मंजूरी दे दी है।

मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने पीएमएमएसवाई के तहत समर्थित कॉमन कार्प के आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम सहित आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (सीआईएफई), रोहतक द्वारा की गई गतिविधियों की भी समीक्षा की। इस मौके पर सीआईएफई, रोहतक के प्रभारी द्वारा बताया गया कि हरियाणा में 2942 एकड़, पंजाब में 1200 एकड़, राजस्थान में 1000 एकड़ और उत्तर प्रदेश में 20-25 एकड़ 22-23 एकड़ तक इस तकनीक का विस्तार किया गया है। इस वर्ष हरियाणा में उत्पादन क्षेत्र 1200 एकड़ और बढ़ गया है। इस मौके पर डॉ. अभिलक्ष लिखी ने अंतर्देशीय खारे पानी में कमी वाले आयनों को मजबूत करने और इसे झींगा पालन के लिए उपयुक्त बनाने की तकनीक विकसित करने के लिए आईसीएआर-सीआईएफई, रोहतक के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

उन्होंने हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब में इस तकनीक को आत्मसात करने के लिए अधिक जागरूकता पैदा करने पर जोर दिया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सभी चार राज्यों में आईसीएआर-सीआईएफई द्वारा विकसित तकनीक के साथ झींगा पालन को अपनाना समय की मांग है। 58,000 हेक्टेयर क्षेत्र खारे जल जलीय कृषि के लिए उपयुक्त है, जबकि वर्तमान में केवल 2,167 हेक्टेयर का उपयोग होता है, जो प्रति वर्ष 8,554.15 मीट्रिक टन पानी देता है। केंद्रीय सचिव ने बताया कि भारत सरकार का लक्ष्य इन चार राज्यों के 58000 हेक्टेयर क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन करना है ताकि इस क्षेत्र के मछली किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिल सके।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल

Updated On 29 Sep 2023 4:26 PM GMT
Agency Feed

Agency Feed

Next Story