- रातभर शहर की सड़कों पर भ्रमण करेंगी झांकियां, पहली बार दिखेगा थ्रीडी पुतलों का उपयोग

इंदौर, 28 सितंबर (हि.स.)। देवी अहिल्याबाई की नगरी इंदौर में अनंत चतुर्दशी पर 100 वर्षों से चली आ रही झिलमिल झांकियों की परंपरा एक बार फिर जीवित हो उठी। भले ही यहां मिलों को बंद हुए बरसों हो गए, लेकिन समारोह का उल्लास आज भी वैसा ही कायम है। गुरुवार शाम को खजराना गणेश मंदिर की झांकी का पूजन होने के साथ ही इंदौर में झिलमिलाती झांकियां का कारवां शुरू हो गया। झिलमिलाती झांकियां रातभर शहर की सड़कों पर भ्रमण करेंगी, जिन्हें निहारने के लिए लाखों लोग रातभर सड़कों पर डटे रहेंगे।

कलेक्टर इलैया राजा टी ने गुरुवार शाम को खजराना गणेश की झांकी का पूजन किया। इसके बाद झिलमिलाती झांकियों का कारवां सड़कों पर निकला। खजराना मंदिर की तीन झांकियां चल समारोह में शामिल हैं। इन झांकियों को देखने के लिए देश के अन्य राज्यों से भी लोग पहुंचे हैं। चल समारोह में छह मिलों के साथ खजराना गणेश, आईडीए, नगर निगम सहित विभिन्न संस्थाओं की करीब 30 से अधिक झांकियां शामिल हैं। इसमें धार्मिक प्रसंग के साथ ही शहर का विकास भी नजर आएगा। पहली बार थ्रीडी पुतले भी नजर आएंगे।

पहली झांकी में 25 फीट के ट्राले को पुष्पक विमान के रूप में बदल दिया गया है। इसमें हनुमान, रामजी, सीता और लक्ष्मण विराजमान है। इस चलित झांकी में विमान के पंख चलायमान रहेंगे जो आकर्षण का केंद्र बनेंगे। दूसरी झांकी में खजराना गणेश की गर्भगृह की दर्शन होंगे। इसमें भगवान के पूजन के दृश्य को सुंदरता से दर्शाया गया है। पर्यावरण संरक्षण की तीसरी झांकी में भगवान गणेश पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। पेड़-पौधों को काटने से भगवान स्वयं रोककर रहे हैं। इस बात के लिए चूहों को भी निर्देशित करेंगे।

हुकमचंद मिल के मालिक सेठ हुकमचंद कासलीवाल द्वारा 100 साल पहले निकाली गई बैलगाड़ी पर झांकी को दिखाया गया था। इस बार की झांकी में चंद्रयान के जरिये देश की विकास यात्रा दर्शाई है। इस झांकी में 100 वर्ष के बदलाव को दर्शाया गया है। कृष्ण लीला पर आधारित दूसरी झांकी में गोमाता की महत्ता को प्रदर्शित किया गया है। तीन भागों में बनी झांकी में पहले गोपाष्टमी पर्व, दूसरे में माखन चोरी की लीला और कृष्ण और कंस का युद्ध दिखाया गया है। भगवान विष्णु के वामन अवतार पर आधारित झांकी में त्रेता युग को दिखाया गया है। इसमें भगवान को बालक रूपी ब्राह्मण अवतार में दिखाया गया। इसमें वे देवताओं को राजा बली से भय मुक्ति का आश्वासन भी देते दर्शया गया है।

कल्याण मिल की श्रीकृष्ण की रासलीला पर आधारित झांकी में भगवान को बंसी बजाते हुए दिखाया गया है। राधा संग गोपियों को बांसुरी की मधुर ध्वनि पर मोहित होकर नृत्य करते हुए दिखाती यह झांकी आनंदित करने वाली है। हनुमानजी की प्रभु राम के प्रति भक्ति को दर्शाती दूसरी झांकी में हनुमानजी को पूरे शरीर में सिंदूर लगाकर जाते हुए दर्शाया गया है। यह रामायण के उस प्रसंग पर आधारित है, जिसमें हनुमानजी सीता माता से पूछते हैं कि आप मांग में सिंदूर क्यों लगाते हो? इसके जवाब में वे कहती हैं कि इससे प्रभु प्रसन्न होते हैं।

स्वदेशी मिल की पहली झांकी को सीता हरण को तीन भागों में दिखाया गया है। प्रथम में सीता माता कहती हैं हिरण को पकड़कर लाओ, दूसरे में सीता माता को कुटिया के बाहर और रावण को साधु वेश में दिखाया गया है। तृतीय भाग में रावण द्वारा सीता का हरण दिखाया गया है। दूसरी झांकी में शिव पार्वती का विवाह भी तीन भागों में दिखाया गया है। पहले भाग में नारदजी पार्वती माता की माता को वर शिव दिखाते हुए दर्शाया गया है। दूसरे भाग में मैनाजी को विष्णु और ब्रह्माजी समझाते हुए और अंत में शिव-पार्वती को फेर लेते हुए दिखाया गया है।

मालवा मिल की पहली झांकी में महापुरुषों के शौर्य की गाथा कहती देशभक्ति की झांकी है। इसमें झांसी की रानी, छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप को आक्रमणकारियों से युद्ध लड़ते दिखाया गया है। चित्रों में डा. भीमराव आंबेडकर, टंट्या भील, स्वामी विवेकानंद आदि दिखाई दे रहे हैं।

राजकुमार मिल की लकड़ी की काठी पे घोड़ा थीम पर बनी मनोरंजक झांकी में मोबाइल के दौरा में बच्चों को अलग-अलग शारीरिक खेल खेलते दिखाय गया है। इसके जरिए बच्चों को घर आंगन, आंगन और बाग-बगीचे में खेलने के लिए प्रोत्साहित करना है। वहीं, पूतना वध एवं खाटू श्याम की झांकी में मथुरा के राजा कंस को बालक कंस का वध करने के लिए पूतना को भेजते हुए दिखाया गया। इसमें विशालकाय पूतना को ठहाके लगाते हुए दिखाया गया है। तीसरी झांकी में भीम व हिडिंबा के पोते राजा बर्बरीक भगवान कृष्ण को अपना शीश सौंपते हुए दिखाया गया। इससे प्रसन्न भगवान कृष्ण उन्हें प्रसन्न होकर कलियुग में खाटू श्याम के रूप में पूजे जाने का आशीर्वाद देते हुए दिखाए गए हैं।

होप टैक्सटाइल्स की प्रथम झांकी में समुद्र मंथन को दर्शाया गया है। दूसरी झांकी में चंद्रयान को दर्शाया गया है। इसमें भगवान गणेश चंद्रमा पर जा रहे हैं। उनके अभिनंदन के लिए चंद्रदेव स्वयं प्रकट हो गए हैं। गणेशजी के हाथ में तिरंगा है। इस झांकी के माध्यम से कलाकारों ने भारत की विकास यात्रा को दर्शाने का प्रयास किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/सुनीत

Updated On 29 Sep 2023 12:11 AM GMT
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