झाबुआ; 19 सितंबर (हि.स.)। हरतालिका तीज व्रत उत्सव पर जिला मुख्यालय सहित जिले के विभिन्न नगरों और गांवों में महिलाओं ने देवी पार्वती की प्रियता प्राप्त करने एवं अपने अखंड सौभाग्य की रक्षा के निमित्त व्रत रखते हुए भगवान् शिव सहित देवी पार्वती एवं गणपति देवता की पूजा और भजनों का गायन किया। सोमवार संध्या से आरंभ हुआ यह सिलसिला पूरी रात भर चलता ही रहा। मंगलवार प्रातः काल भगवान् शिव पार्वती सहित गणपति देवता की बालुकामयी मूर्ति के विसर्जन के साथ ही व्रत विधान को पूर्णता प्रदान कर दी गई, ओर इसके साथ ही श्री गणेश स्थापना की तैयारियां शुरू हो गई।

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाओं द्वारा किया जाने वाला हरतालिका तीज व्रतोत्सव संपूर्ण जिले में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। जिले के विभिन्न नगरों और ग्रामीण क्षेत्रों के शिव मंदिरों में सोमवार मध्यान्ह काल से ही भगवान् शिव एवं माता पार्वती सहित गणपति देवता की पूजा, आराधना का क्रम शुरू हो गया था, जो रात्रि के विविध सोपान पर आकार लेता रहा। देवालयों के अतिरिक्त ब्राह्मण पंडितों द्वारा अपने घरों में भी बालू रेत की मूर्ति बनाई गई थी, जहां पहुंच कर महिलाओं ने पूजा कर व्रत विधान किया। इस व्रत पर्व पर महिलाओं ने व्रत कथा का भी श्रवण किया, फिर रात्रि जागरण करते हुए माता पार्वती की प्रसन्नता के लिए भजनों का गायन किया। मंगलवार प्रातः कालीन वेला में शिव पार्वती की बालुकामयी मूर्ति को नदी, तालाबों में विसर्जन कर हरतालिका तीज व्रत को संपूर्णता प्रदान कर दी गई, ओर इसके साथ ही श्री गणेश स्थापना की तैयारियां आरंभ कर दी गई। अब आने वाले दस दिनों तक जिले में विभिन्न स्थानों पर परंपरागत रूप से मनाए जाने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों का शानदार सिलसिला शुरू हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति का यह महान् धार्मिक व्रत उत्सव महिलाओं द्वारा अपने अखंड सौभाग्य की रक्षा एवं कुमारी कन्याओं द्वारा श्रेष्ठ वर प्राप्ति के लिए बड़ी ही श्रद्धा, विश्वास ओर निष्ठा पूर्वक किया जाता है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को सर्वप्रथम महादेवी पार्वती ने किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान् शिव पति रूप में प्राप्त हुए थे। इस व्रत के दिन महिलाएं वह कथा भी श्रवण करती है, जो माता पार्वती के जीवन में घटित हुई थी उक्त कथा में देवी के त्याग, संयम, धैर्य एवं एकनिष्ठ पातिव्रत धर्म पर प्रकाश डाला गया है, ओर जिसके श्रवण से व्रत परायण स्त्रियों का मनोबल ऊंचा उठता है।

हरतालिका तीज सहित श्री गणेश चतुर्थी एवं महिलाओं द्वारा किए जाने वाले एक ओर महत्वपूर्ण ऋषि पंचमी व्रत पर्व को लेकर आरंभ में संशयपूर्ण स्थिति निर्मित हो गई थी, किंतु जिले के कर्मकाण्डी विद्वानों द्वारा सामूहिक रूप से विचार विमर्श कर निर्णय लिया गया था कि शास्त्रोक्त रुप से उक्त तीनों व्रत उत्सव सोमवार, मंगलवार एवं बुधवार को ही मनाए जाने चाहिए। विद्वानों के मत का अनुसरण करते हुए जिले में अधिकांश स्थानों पर इसी क्रम में व्रत उत्सव मनाए जा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. उमेशचन्द्र शर्मा/मुकेश

Updated On 20 Sep 2023 12:14 AM GMT
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