सोलन, 19 सितम्बर ( हि. स.) । ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा सोमवार को विवि परिसर में एक संयुक्त एक दिवसीय कार्यशाला ''स्वस्थ ग्रह के लिए भोजन'' का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एन॰ए॰एच॰ईपी) की संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) के समर्थन में आयोजित किया गया।

मेलबर्न विश्वविद्यालय से छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जिसमें विज्ञान संकाय में एसोसिएट डीन (अंतर्राष्ट्रीय) प्रो॰ एलेक्स जॉनसन; कृषि, खाद्य और पारिस्थितिकी तंत्र विज्ञान स्कूल के प्रमुख प्रोफेसर जियोवानी तुरचिनी; वरिष्ठ लैक्चरर पारिस्थितिकी तंत्र विज्ञान डॉ. अंतानास स्पोकेविसियस; निदेशक इंटरनेशनल, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर, फूड एड इकोसिस्टम मैनेजमेंट डॉ. सुरिंदर सिंह चौहान; मेलबर्न में कार्यशाला समन्वयक कियारा बाल्सामो और विज्ञान संकाय से लॉफलिन हूपर ने कार्यक्रम में भाग लिया।

प्रोफेसर एलेक्स जॉनसन ने मेलबर्न विश्वविद्यालय और भारत में इसके प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के सामने स्वस्थ टिकाऊ खाद्य प्रणाली, स्वस्थ ग्रह के लिए ज्ञान और समाधान और जलवायु परिवर्तन को समझना और अपनाना चुनौतियां है। उन्होंने हिडन हंगर को रोकने के लिए अनाज के दानों को नया स्वरूप देने पर एक प्रस्तुति भी दी और टिप्पणी की कि हालांकि अनाज अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे आहार में आयरन और जिंक के अच्छा स्रोत नहीं हैं। उन्होंने गेहूं और चावल जैसी पारंपरिक खाद्य फसलों को आयरन और जिंक के साथ बायोफोर्टिफिकेशन की वकालत की।

प्रोफेसर जियोवन्नी टर्चिनी ने ओमेगा-3 फैटी एसिड की महत्वपूर्ण भूमिका पर बात की और ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के अनुपात को सावधानीपूर्वक नियमित करने का आह्वान किया। उन्होंने मानव आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड के स्रोत के रूप में समुद्री भोजन के महत्व पर प्रकाश डाला।

हिन्दुस्थान समाचार / संदीप

/सुनील

Updated On 20 Sep 2023 12:12 AM GMT
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