शिमला, 19 सितम्बर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी प्राकृतिक आपदा को लेकर सत्तापक्ष की तरफ से लाए गए संकल्प परचर्चा का क्रम जारी रहा। इस दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों के बीच जहां नोंक झोक चलती रही तो वहीं सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र में हुए नुकसान को उठाया। सत्ता पक्ष ने केंद्र से त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की तो वहीं विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर आपदा से निपटने के लिए की गई तैयारियों पर सवाल उठाए तथा केंद्र की ओर से की गई मदद का उल्लेख किया।

चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार 26 से 28 सितम्बर के बीच आपदा प्रभावितों के लिए आपदा राहत पैकेज लाएगी। यदि आपदा प्रभावितों की मदद के लिए एम.एल.ए. फंड काटना पड़ा तो उसको भी काटेंगे। इसके लिए सरकारी स्तर पर यह अध्ययन किया जा रहा है कि किस मद से राशि को काटकर आपदा प्रभावितों की मदद की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि यह हैरानी की बात है कि भाजपा को हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर आपत्ति है। उन्होंने चर्चा के दौरान निर्दलीय विधायक होशयार सिंह की तरफ से विधायकों के स्टोन क्रशर का मामला उठाए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यदि उनके पास विधायकों की ऐसी कोई सूची मौजूद है, तो उसको सभा पटल पर रखना चाहिए। महज सनसनी फैलाने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

मुख्यमंत्री की आपत्ति के बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस विषय से संबंधित शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने की घोषणा की। मुख्यमंत्री सुखङ्क्षवदर ङ्क्षसह सुक्खू ने कहा कि वह जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति की तरफ से देश-विदेश के अतिथियों के लिए दिए गए रात्रि भोज में इसलिए शामिल हुए, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष पैकेज पर चर्चा हो सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ थे, तो उस समय बातचीत करके हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और विशेष पैकेज देने की मांग की। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भगवान उनको सद्बुद्धि दे, तथा सत्ता पक्ष की तरफ से लाए गए संकल्प पर साथ दे। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि हिमाचल प्रदेश को विशेष वित्तीय मदद मिले।

इससे पहले आज चर्चा शुरू करते हुए मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा ने आरोप लगाया कि त्रास्दी के समय राजनीतिक बातें हुई। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने लोगों को राहत पहुंचाने का कार्य किया तथा डोडरा क्वार जैसे दुगर्म क्षेत्र में 10 से 12 दिन के भीतर बस सेवा को बहाल कर दिया। इसी तरह जहां सेब सहित अन्य फलों के समर्थन मूल्य में डेढ़ रुपए की बढ़ौतरी की, वहीं सेब को मंडियों तक पहुंचाने में किसी तरह का व्यवधान नहीं आने दिया।

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि पक्ष-विपक्ष के विधायक एवं सांसदों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर मदद के लिए गुहार लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण प्रदेश 10 वर्ष पीछे चला गया है। उन्होंने प्रदेश में भवन निर्माण के लिए मानक तय करने की मांग की। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई कि प्रदेश में कैसे 8 मंजिल तक भवनों को निर्माण की अनुमति प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा का एक कारण सडक़ किनारे बने कलवर्ट का बंद होना भी रहा। उन्होंने कहा कि सरकार को वर्षा से पहले ऐसे कलवर्ट खोलने चाहिए। उन्होंने कहा कि हम गिरकर फिर उठेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील

Updated On 20 Sep 2023 12:12 AM GMT
Agency Feed

Agency Feed

Next Story