लखनऊ, 26 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की स्थानीय पारम्परिक और दुर्लभ होती जा रही लुप्तप्राय कला, संगीत, शिल्प, लोकनृत्य और व्यंजनों के संरक्षण, संवर्धन व पुनर्जीवित करने में लगे हुए व्यक्तियों या समूह को 05 लाख रूपये तक का एकमुश्त अनुदान दिया जायेगा। यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि नई पर्यटन नीति-2022 में इस आशय की व्यवस्था की गयी है कि अन्तर-राष्ट्रीय राष्ट्रीय महत्व के जाने मानें पर्यटन स्थलों के आसपास 50 किमी0 के रेंज में यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का काम करता है तो उसे सरकार अनुदान देगी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि उप्र अपने सांस्कृतिक विविधता के लिए पूरे देश में जाना जाता है। यहां पर विभिन्न प्रकार की लोक कलाएं, व्यंजन, भेष-भूषा, कला संगीत उपलब्ध हैं। कुछ लोक कलाएं विलुप्त की कगार पर पहुंच चुकी हैं। इनका संरक्षण करके भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि संस्कृति विभाग उप्र इन कलाओं के संरक्षण में लगे हुए व्यक्तियों एवं समूहों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 05 लाख रूपये की धनराशि अनुदान के रूप में देने का निर्णय लिया है। वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किये जाने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा संस्कृति विभाग के समन्वय से लुप्तप्राय कला, नृत्य, संगीत, शिल्प, लोकनृत्य और व्यंजनों की सूची प्रकाशित कराई जायेगी। प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाने के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा संस्तुति प्रदान की जायेगी। यह प्रोत्साहन राशि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक मण्डल के अधिकतम 10 आवेदकों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जायेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश

Updated On 26 May 2023 7:30 PM GMT
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