जगदलपुर, 28 सितंबर(हि.स.)। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता हैं और इसका समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन हो जाता है। पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध या श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, एक 16 दिवसीय हिंदू अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान अपने पूर्वजों को स्मरण करने के लिए किया जाता है। पितृ पक्ष को लेकर हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस समय पितृ धरती लोक पर आते हैं और किसी न किसी रूप में अपने परिजनों के आसपास रहते हैं। इसलिए इस समय श्राद्ध करने का विधान है। श्राद्ध के लिए 16 तिथियां बताई गई हैं वर्ष 2023 में पितृ पक्ष 29 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है और 14 अक्टूबर को पितृमोक्ष आमावस्या तक जारी रहेगा।

इसके पश्चात नवरात्र प्रारंभ हो जाएगी। पितृपक्ष के दौरान पितृों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए किये जाने वाले अनुष्ठान बस्तर जिले में निवासरत 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के प्रत्येक परिवार में देखने को मिलता है।जगन्नाथ मंदिर के पंडित सुभांशु पाढ़ी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 02 अक्तूबर 2023 को चतुर्थी श्राद्ध के साथ भरणी श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन भरणी नक्षत्र शाम 06:24 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि मृत्यु के 01 साल बाद भरणी श्राद्ध करना चाहिए। जिनकी मृत्यु विवाह होने के पहले ही हो जाती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है, और अगर पंचमी तिथि पर भरणी नक्षत्र होता है, तो यह बेहद खास होता है। इस बार 07 अक्तूबर को नवमी श्राद्ध किया जाएगा। नवमी श्राद्ध को मातृ श्राद्ध या मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मातृ नवमी पर घर की माता,दादी,नानी का श्राद्ध किया जाता है। मातृ नवमी के दिन माता पितरों का तर्पण, श्राद्ध या पिंडदान करने से वे प्रसन्न होती हैं।

सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्तूबर को पड़ रहा है और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। इस तिथि पर उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है। यानि सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी तरह के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

Updated On 29 Sep 2023 12:07 AM GMT
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