इटानगर, 23 सितंबर (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के लगभग 12 संगठनों के समूह के संयुक्त कार्रवाई समिति ने राज्य सरकार से राज्य में ग्रामीण डाक सेवकों की भर्ती प्रक्रिया में शीघ्र हस्तक्षेप करने की अपील अ

की है। साथ ही विभिन्न केंद्र सरकार में भर्ती नियमों में अनिवार्य आवासीय प्रमाण पत्र या घरेलू प्रमाण को शामिल करने के लिए प्रस्ताव पेश करे।

अरुणाचल प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए डाक विभाग की संयुक्त कार्रवाई समिति के अध्यक्ष किपा कानाम ने बताया कि समिति पिछले 4 सितंबर से राज्य में डाक सेवक भर्ती और नियुक्ति प्रक्रियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और राज्य के मुख्यमंत्री और मेघालय (शिलांग) के मुख्य पोस्ट मास्टर को ज्ञापन को छह सूत्री ज्ञापन सौपा गया है। उन्होंने कहा कि गत 22 दिनों के भीतर डाक विभाग के प्रतिनिधियों के साथ लगभग तीन बार चर्चा भी हुई हैं, बावजूद आज तक कोई समाधान नहीं निकला है। हालांकि, डाक विभाग ने हमारी छह सूत्रीय मांगों का जवाब देते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश राज्य में गैर अरुणाचलियों के लिए जीडीएस पद की नियुक्ति के लिए चल रही प्रक्रिया को रोकने, अरुणाचल प्रदेश में 866 डाकघर शाखाओं में गैर अरुणाचली के लिए जीडीएस नियुक्तियों को रद्द करने और राज्य के मूलनिवासी बेरोजगार युवाओं के लिए जीडीएस की नियुक्ति की मांग पर उच्च अधिकारियों से बात करने का अश्वासन दिया और उन्होंने यह भी कहा कि मांग संख्या 4 और 5, यानी भर्ती नियमों में आवासीय प्रमाण पत्र के घरेलू प्रमाण को अनिवार्य और राज्य की 26 प्रमुख जनजातियों की किसी भी स्थानीय बोली का ज्ञान होने की मांग अरुणाचल और भारत सरकार का नीतिगत मामला बताते हुए जवाब दिया, वही संगठन की मांगों का जवाब देते हुए अरुणाचल प्रदेश डाक प्रभाग ने 26 सितंबर को डिमापुर में आयोजित होने वाले प्रस्तावित रोजगार मेले में भौतिक भागीदारी को रद्द करने का फैसला किया।

किपा कानम ने राज्य सरकार से विशेष रूप से मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए भर्ती नियमों में आवासीय प्रमाण पत्र का घरेलू प्रमाण और राज्य की 26 प्रमुख जनजातियों की स्थानीय बोली में से किसी एक का ज्ञान होना नीतिगत मामला है कारवाई के लिए अनुरोध किया ताकि हमारे बेरोजगार युवाओं को नौकरी का मौका मिल सके।

हम किसी भी गैर अरुणाचली उम्मीदवार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमारा इरादा है कि हमारे बेरोजगार युवाओं को मौका मिलना चाहिए और जो चयनित हुए हैं उन्हें गांव के लोगों से संवाद करने के लिए स्थानीय बोलियों को जानना होगा, जो हिंदी और अंग्रेजी भाषा नहीं जानते हैं।

संगठन ने विशेष रूप से गांवबूढ़ा और पंचायत नेताओं के लिए जिले में जागरूकता पैदा करने का निर्णय लिया है कि वे अपने स्थान पर गैर- अरुणाचली की कोई सिफारिश न करें और वे उन गांवबूढ़ा और पंचायत नेताओं से भी अपील कि हैं जिन्होंने गैर- अरुणाचली को अपनी सिफारिश की है उन्हें वापस ले।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हमें आंदोलन या जागरूकता अभियान शुरू करने से पहले पहल करे।

हिन्दुसतान समाचार /तागू/अरविंद

Updated On 26 Sep 2023 7:40 PM GMT
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