रमेश सर्राफ धमोरा

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान होता है। यह उद्योग लाखों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध करा रहा है। पर्यटन स्थलों पर देश-विदेश से आने वाले पर्यटक परिवहन साधनों से लेकर होटल, रेस्तरां और पर्यटन स्थलों के टिकट पर व्यय करते हैं। जिससे राजस्व की बढ़ोतरी होती है। घूमने का शौक रखने वाले नए-नए पर्यटन स्थलों की खोज में रहते हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने, पर्यटकों को आकर्षित करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है।

आज हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाड़ा, आस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश है। जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। पर्यटन सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लागे में ही मदद नहीं करता है। बल्कि यह किसी भी देश के सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वैश्विक स्तर पर पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मनाया जाता है। पहली बार विश्व पर्यटन दिवस 1980 में मनाया गया था। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन ने की थी। 27 सितंबर के दिन विश्व पर्यटन दिवस मनाने की खास वजह थी। इसी दिन 1970 में संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन को मान्यता मिली थी। संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यापार संगठन की वर्षगांठ के दिन विश्व पर्यटन दिवस मनाने का फैसला लिया गया। पर्यटन दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यटन के जरिए रोजगार को बढ़ावा देने, लोगों को पर्यटन के प्रति जागरूक करने और अधिक से अधिक पर्यटन स्थलों के बारे में लोगों को जानकारी देना है।

हर साल विश्व पर्यटन दिवस की मेजबानी दुनिया का कोई एक देश करता है। पिछले साल विश्व पर्यटन दिवस का मेजबानी इंडोनेशिया ने की थी। इस बार सऊदी अरब विश्व पर्यटन दिवस 2023 की मेजबानी कर रहा है। विश्व पर्यटन दिवस की एक खास थीम होती है। पिछले सात की थीम पर्यटन पर पुनर्विचार थी। कोरोना महामारी से पर्यटन को काफी नुकसान हुआ है। इस ओर अधिक ध्यान दिए जाने के लिए यह थीम तय की गई थी। इस वर्ष विश्व पर्यटन दिवस 2023 की थीम पर्यटन और हरित निवेश है। विश्व पर्यटन दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टूरिज्म को बढ़ाने में मदद करता है। ताकि देशों को पर्यटन के लिहाज से एक दूसरे से जोड़ा जा सके। यात्रियों को अपने देश के अलावा विदेशी पर्यटक स्थलों के बारे में भी पता चले और वह दूसरे देश के पर्यटन के जरिए विदेशी संस्कृति को करीब से जान पाए।

भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से है जहां कलात्मक, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दर्शनीय स्थलों एवं कृतियों की कमी नहीं है। यही कारण है कि हजारों मील दूर रहने वाले विदेशी लोग भी पर्यटन के लिए यहां आने का लोभ छोड़ नहीं पाते हैं। यही नहीं देशी पर्यटक भी बड़ी तादाद में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले देश के विभिन्न पर्यटन केंद्रों पर देखे जा सकते हैं। देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की कमाई करने में पर्यटन उद्योग का अच्छा खासा महत्व है।

विशेषज्ञों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि आगामी दस वर्षों में पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में भारत का स्थान विश्व में तीसरा हो जाएगा। देश में इस दौरान लगभग एक करोड़ नये रोजगाार का इस क्षेत्र में सृजन होने की उम्मीद है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में इस आशय की संभावनाओं की ओर इशारा किया गया है। अभी देश में लगभग चार करोड़ लोग टूर ऐंड टूरिज्म इंडस्ट्री के माध्यम से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर आजीविका हासिल कर रहे हैं।

देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर नजर रखने वालों का मानना है कि देश में उपलब्ध पर्यटन क्षमता का समुचित रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इस दिशा में अधिक प्रभावी व कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी नीति के तहत विभिन्न पर्यटन केंद्रों को प्रमुख छोटे-बड़े शहरों से जोड़ने के लिए दूरसंचार, सड़क और वायु परिवहन की अधिकाधिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारी निवेश की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा परंपरागत पर्यटक केंद्रों के आसपास बुनियादी सुविधाएं व नए पर्यटन केंद्रों को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस पूरे परिदृश्य से स्पष्ट होता है कि आगामी वर्षों में पर्यटन प्रबंधन तथा पर्यटक से जुड़े अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों की बड़ी संख्या में मांग होगी। यह अवसर सरकारी से ज्यादा निजी क्षेत्रों में होने की अधिक संभावना जताई जा रही है।

वर्ष 2021 में विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की रिपोर्ट में 178.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान के साथ भारत का पर्यटन क्षेत्र विश्व सकल घरेलू उत्पादन में अपने योगदान में छठे स्थान पर है। विदेशी मुद्रा के मामले में भारत के पर्यटन क्षेत्र ने वर्ष 2020 में 6.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की। कोरोना महामारी के बाद इसके और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2020 में भारत में पर्यटन क्षेत्र में 39 मिलियन लोगों को रोजगार मिला जो कि देश में कुल रोजगार का 8 प्रतिशत था। 2029 तक यह आंकड़ा लगभग 53 मिलियन होने की उम्मीद है। भारत में 40 स्थल, विश्व विरासत सूची में शामिल हैं, जिनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल शामिल हैं। इस मामले में भारत विश्व में छठे स्थान पर है।

आज के समय में हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना हैं। पर्यटन के कारण आज कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। पर्यटन विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्र है। जो वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 प्रतिशत योगदान देता है। भारत में यह अभी भी 6.7 प्रतिशत ही है। जबकि पड़ोसी देशों चीन (8.6), इंडोनेशिया (9.2), मलेशिया (12.9), श्रीलंका (8.8) तथा थाइलैण्ड (13.9) है जो हमसे बहुत अधिक है।

भारतीय हमेशा से अतिथि देवो भवः की भावना को मानते आएं भारत में आया हुआ हर पर्यटक देश के लिए अतिथि समान होता है। इसलिए दुनिया का हर नागरिक एक बार भारत में पर्यटक बनकर जरूर आना चाहता है। भारतीय संस्कृति व पर्यटन स्थल पर्यटकों को एक अलग ही अहसास का अनुभव करवाती है। पर्यटन से राष्ट्रीयता की भावना मजबूत होती है। साथ ही पर्यटन से जीवन में उदारता व सहिष्णुता की भावना आती है। साधु-संत जो सामान्य मानव से ऊपर स्थान प्राप्त करते हैं। उसका मुख्य कारण उनकी घुमक्कड़ी स्वभाव ही है, जिसके चलते वह हर प्रकार का ज्ञान हासिल करते रहते हैं।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

हिन्दुस्थान समाचार/ रमेश सर्राफ/मुकुंद

Updated On 26 Sep 2023 11:58 AM GMT
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