भारत की स्वतंत्रता में साहित्यकारों का भी अवदान - प्रो. विनोद कुमार सिंह मिर्जा गालिब कॉलेज में आयोजित हुआ हिंदी- उर्दू साहित्य पर व्याख्यान
गया, 30 नवम्बर( हि.स.)। मिर्जा गालिब कॉलेज के हिंदी- उर्दू विभाग के सौजन्य से आजादी का अमृत महोत्सव और हिंदी -उर्दू साहित्य पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के तौर पर मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह उपस्थित हुए। इस अवसर पर कॉलेज के सचिव शबी आरफीन शमसी के द्वारा शाल आदि देकर मुख्य अतिथि प्रो.सिंह को सम्मानित किया गया।
प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने कहा कि देश की आजादी सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों के बल पर नहीं लड़ी गई, इसमें भारतीय भाषा के साहित्यकारों का भी बड़ा अवदान है। उन्होंने कहा कि देश का विभाजन आजादी की सबसे बड़ी त्रासदी है। उन्होंने यह भी कहा कि तमस जैसे कई सारे उपन्यास देश के विभाजन के दर्द को बयान करते हैं।उन्होंने बताया कि आजादी का मतलब है आसमान के नीचे सुकून से जिंदगी बसर करना। उन्होंने अपने संबोधन में प्रेमचंद और दिनकर के साहित्य का भी जिक्र किया।
अपनी बात रखते हुए उप प्राचार्य डॉ. शुजाअत अली खान ने कहा कि देश की आजादी में हिंदी- उर्दू भाषाओं के साथ अंग्रेजी भाषा का भी अपना महत्व है।उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हम टैगोर के साहित्य को कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने अपने संबोधन में देश के लिए सब कुछ निछावर करने वाली इक्कीस साल की तारुदत्त का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कोई भी जंग कलम के बिना आज तक नहीं जीती गई. वहीं अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सरवत शमसी ने कहा कि उर्दू शब्दों की तरह हिंदी शब्दों में भी वैसी ही खूबसूरती है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ.एहसानुल्लाह दानिश ने किया। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी खूबी यह थी के पूरा का पूरा सेमिनार हॉल छात्र-छात्राओं और शिक्षकों से भरा पड़ा था।