वराणसी। संघ लोक सेवा आयोग की ओर से मंगलवार को यूपीएससी 2013 की परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। इस परीक्षा में कुल 1016 परीक्षार्थियों ने सफलता प्राप्त की। वहीं काशी के छात्र-छात्राओं ने भी शहर का नाम रोशन करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। यूपीएससी की परीक्षा में काशी के सात मेघावियों ने अपना कौशल साबित किया है। उन्होंने इस सफलता से एक नई इबारत लिखी ही है लेकिन आज काशी के साथ-साथ उन्होंने अपने माता-पिता का भी सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। इन सात मेघावियों में चार बेटियां और तीन बेटे शामिल है। चलिए अब आपको बताते हैं की इन मेघावियों का तैयारी से लेकर यूपीएससी परीक्षा पास करने तक का सफर कैसा रहा...

रांची विवि की असिस्टेंट प्रोफेसर ने किया नाम रौशन

रांची विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद कर कार्य कर रही आकांक्षा सिंह ने UPSC की परीक्षा में 44 वां रैंक हासिल किया है। वाराणसी के बड़ालालपुर चांदमारी स्थित वीडीए कॉलोनी की रहने वाली आकांक्षा ने अपनी मेहनत और लगन के चलते यह सफलता प्राप्त की है। आकांक्षा के पिता चंद्र कुमार सिंह मूल रूप से आजमगढ़ के बूढ़नपुर के रहने वाले हैं और वह झारखंड कैडर के पूर्व पीसीएस अधिकारी हैं। पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रही आकांक्षा ने जमशेदपुर से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट करने के बाद मिरांडा हाउस दिल्ली से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद जेएनयू से भूगोल विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन की। इस समय वह रांची विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

आकांक्षा के इस सफलता पर अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए उनके पिता चंद्रकुमार ने कहा कि रामनवमी के मौके पर परिवार को जो खुशी मिली है, वह प्रभु की देन है। आकांक्षा शुरू से ही धुन की पक्की थी और इसके चलते उसने अपने मेहनत से यह सफलता प्राप्त की है।

इंजीनियरिंग छोड़ की UPSC की तैयारी

वाराणसी के मच्छोदरी के कोयला बाजार के रहने वाले असलम खान की बेटी अरफा उस्मानी ने UPSC 2023 की परीक्षा में 111वीं रैंक हासिल की है। अरफा के पिता असलम का दालमंडी में क्रॉकरी की दुकान है। काशी की अरफा उस्मानी ने 2018 में आईआईटी बीएचयू से मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटिंग में इंटीग्रेटेड डुअल डिग्री करने के बाद इंटेल कंपनी में दो साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की जॉब की। मगर, उनके मन में शुरू से ही यूपीएससी करने की इच्छा रही। इसके चलते उन्होंने अपने बड़े भाई से प्रेरित होकर अपने जीवन का एक बड़ा फैसला किया और अपनी जॉब छोड़ दी अरफा का बड़ा भाई आईआईटी और आईआईएम की पढ़ाई कर रिजर्व बैंक में जॉब कर रहे हैं।

इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ UPSC की तैयारी में दिन-रात जुटी अरफा ने चौथे प्रयास में इसे क्रैक कर लिया। अरफा ने बताया कि पहले प्रयास में उन्होंने कोचिंग क्लासेज ली थी लेकिन इसके बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी पर फोकस किया और आज वो यहाँ तक सभी के सहयोग से पहुँच पाई है। अरफा ने अन्य विद्यार्थियों को टिप्स देते हुए कहा कि दबाव में रहकर कभी-भी पढ़ाई न करें। यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा के लिए धैर्य की बहुत जरूरत होती है।

सेल्फ स्टडी के चलते मेहनत ने लायी रंग

बनारस के सूटकेस व्यवसायी राजेश और दिव्या अग्रवाल के दूसरे बेटे शाश्वत अग्रवाल ने अपने दम पर तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 121वीं रैंक हासिल की है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद शाश्वत UPSC की तैयारी में लग गये और तीसरे प्रयास में उसे क्रैक कर लिया।

शाश्वत की मां दिव्या ने अपनी ख़ुशी बयान करते हुए कहा कि हमने उसे कोचिंग से पढ़ने की बात कही लेकिन उसने मना कर दिया। शाश्वत का शुरू से कहना था कि मैं खुद से तैयारी करना चाहता हूं और इसके बाद वह निरंतर लगा रहा। पढ़ाई में शुरू से ही मेधावी रहे शाश्वत ने स्कूल से लेकर कॉलेज तक बेहतर प्रदर्शन किया। पहले प्रयास में प्रीलिम्स भी नहीं निकला तो उसे थोड़ी निराशा हुई। लेकिन फिर दूसरे प्रयास में उसने और मेहनत की फिर प्रीलिम्स निकला। इसके बाद तीसरे प्रयास में 121वीं रैंक प्राप्त कर लिया।

Courtesy - Amarujala

Vipin Singh

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