वाराणसी। हाल ही में हुई सेंट्रल व स्टेट टीबी डिवीजन व सपोर्ट यूनिट टीम के भ्रमण का असर समुदाय स्तर पर दिखने लगा है। इसका उदाहरण गुरुवार को काशी विद्यापीठ…

वाराणसी। हाल ही में हुई सेंट्रल व स्टेट टीबी डिवीजन व सपोर्ट यूनिट टीम के भ्रमण का असर समुदाय स्तर पर दिखने लगा है। इसका उदाहरण गुरुवार को काशी विद्यापीठ ब्लॉक के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर कोरौता में टीबी चैम्पियन के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (Community Health Officer) व आशा कार्यकर्ताओं की बैठक में देखने को मिला। बैठक में टीबी चैम्पियन (TB Champion) धनंजय कुमार ने अपना अनुभव साझा करते हुये सामुदायिक स्तर पर क्षय रोग से जुड़े मिथक और भ्रांतियों को दूर करने, सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन और टीबी मरीजों को स्वस्थ वातावरण व जीवनयापन के बारे में विस्तार से चर्चा की ।

आशा कार्यकर्ता कर रहीं जिम्मेदारियों का निर्वाहन
CHO प्रिया मल्ल ने बताया कि हेल्थ वेलनेस सेंटर कोरौता में संभावित टीबी मरीजों को चिन्हित करने और उनके सैंपल एकत्रित कर जांच के लिए भेजने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता भी बलगम सैंपल एकत्रीकरण में ज़िम्मेदारी सही तरीके से निर्वहन कर रही है । इसके साथ ही सामुदायिक स्तरीय बैठक कर टीबी मरीजों के प्रति भेदभाव, मिथक व भ्रांतियों को दूर करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसमें लोगों को जागरूक कर व्यवहार परिवर्तन किया जा रहा है जिससे टीबी रोगियों को स्वस्थ जीवनयापन और वातावरण मिल सके।

सीएचओ ने बताया कि वह सेंटर पर अप्रैल 2022 से अब तक 170 से अधिक टीबी संभावित मरीजों का सैंपल ले चुकी हैं, इसमें तीन पॉज़िटिव पाये गए लेकिन वह पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।

दवा का कोर्स पूरा करें, तो पूरी तरह से हो जाएंगे स्वस्थ
अराजीलाइन निवासी टीबी चैम्पियन धनंजय कुमार (38) ने बताया कि वर्ष 2011 में उन्हें टीबी हुई थी। निजी चिकित्सालय में इसका इलाज कराया लेकिन बीमारी और बढ़ गई। इसके बाद उन्हें मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी हो गई। फिर डेढ़ साल तक सरकारी दवा का सेवन किया लेकिन सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उन्हें एक्सडीआर टीबी हो गई। इसके बाद उन्होंने दो साल तक दवा खाई। इस तरह करीब छह साल दवा खाने के बाद साल 2016 में पूरी तरह से ठीक हुये।

वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था ने बनाया TB Champion
उन्होंने बताया कि इस दौरान परिवार और आसपास के लोगों का पूरा सहयोग रहा। कोई भेदभाव नहीं था। इसके दो साल बाद वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के जरिये वह विभाग से जुड़ कर टीबी चैम्पियन बने। अब वह टीबी मरीजों की काउंसलिंग और भावनात्मक सहयोग दे रहे हैं। साथ ही नियमित फॉलो अप भी लेते हैं। मरीजों को समझाते हैं कि दवा बीच में न छोड़ें, कोर्स पूरा करें जिससे वह पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। इसके साथ ही टीबी मरीजों के साथ भेदभाव न करने के बारे में समुदाय को जागरूक कर रहे हैं। धनंजय के सहयोग से अब तक 150 टीबी रोगी ठीक हो चुके है और 150 से अधिक उपचार पर हैं।

Updated On 16 Feb 2023 10:23 PM GMT
admin

admin

Next Story