वाराणसी। इन दिनों सोशल मीडिया पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय का धर्म शास्त्र मीमांसा विभाग सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है, क्योंकि विश्वविद्यालय में हिंदू धर्म शास्त्र 'मनुस्मृति' पर रिसर्च…

वाराणसी। इन दिनों सोशल मीडिया पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय का धर्म शास्त्र मीमांसा विभाग सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है, क्योंकि विश्वविद्यालय में हिंदू धर्म शास्त्र 'मनुस्मृति' पर रिसर्च शुरू हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर BHU में बहुजन समाज के छात्रों ने इस प्राजेक्ट का विरोध भी शुरू कर दिया है। साथ ही छात्र भी सोशल मीडिया पर "मनुस्मृति "शब्द और विषय के बहाने इसे जातिगत राजनीति और हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करने की बात कह रहें है।

ये कोई नया विषय नहीं बेवजह हो रही चर्चा

डॉक्टर शंकर मिश्र ने इस पूरे विषय पर बात करते हुए बताया कि ये कोई नया विषय नहीं है। इस पर बेवजह ही चर्चा की जा रही है। ये एक रुटीन का काम है। इसी तरह के कई विषयों पर पचासों साल से इसी विश्विद्यालय में शोध कार्य हो रहे हैं। देश के किसी भी विश्वविद्यालय में जिस जगह धर्म शास्त्र पढ़ाया जाता है वहा पर "मनुस्मृति" विषय के रूप में पढ़ाया जाता है और इस पर शोध कार्य भी होते रहते हैं ।

मनुस्मृति के बारे में अल्पज्ञानी लोग विवाद कर राजनीति कर रहे

उन्होंने कहा कि मनुस्मृति के बारे में अल्पज्ञानी लोग विवाद कर राजनीति कर रहे हैं। उन्हें बस तारना जैसे शब्द का एक ही अर्थ पता है इसलिए उसे महिलाओं से जोड़ कर व्यर्थ में विवाद किया जा रहा है । जबकि मनुस्मृति के अनुसार तारना का अर्थ उद्धार करना , भला करना , लेकिन राजनीति के चक्कर में इसे। अलग ही अर्थ दिया गया। ऐसा ही शुद्र शब्द के साथ किया गया है। धर्म के अनुसार हर पैदा होने वाला इंसान शूद्र होता है । जो कर्म के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र होते थे शुद्र का अर्थ अनपढ़ , और मूर्ख से है ना की किसी जाति विशेष से। इसी कर्म आधारित समाज को चार आश्रम व्यवस्था में जीवन बिताने केलिए किया गया। जन्म से जाति व्यवस्था तो आधुनिक समाज की देन है।

सोशल मीडिया पर छात्रों बंटे दो धड़े में

सोशल मीडिया पर अब इस विषय को लेकर छात्रों के बीच राय बंटी हुई है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे पेज है जो बीएचयू के छात्र नेताओं और संगठनों द्वारा चलाए जाते हैं। वामपंथी रुझान वाले सोशल मीडिया पेज पर एक और इसे हिंदुराष्ट्र के बनाने के प्रयासों के तहत देख रहे हैं और मनु स्मृति को महिला विरोधी बता रहे है तो दूसरी ओर दक्षिणपंथी विचार रखने वाले छात्र और छात्र संगठन सोशल मीडिया पर इस विषय पर समर्थन में दिख रहे हैं।

Updated On 1 March 2023 8:06 AM GMT
Ankita Yaduvanshi

Ankita Yaduvanshi

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