विकसित भारत के लिए एक और अनूठी पहल की गई है। अब देश के गांव-गांव में श्रीराम दरबार का मंदिर स्थापित होगा, लेकिन ये राम दरबार भगवान श्री राम का संपूर्ण परिवार होगा जो इसे अनोखा बनाएगा। चारों ओर राम नाम की गूंज सुनाई देगी और इन मंदिरों में दर्शन के लिए किसी भी जाति व किसी भी धर्म की कोई बाध्यता नहीं होगी।

आदिवासी, दलित, किन्नर व महिलाएं होंगी पुजारी

बेहद खास बात यह है कि इन मंदिरों में स्थापित होने वाले श्रीराम परिवार मंदिर का मुख्यालय धर्म की नगरी काशी के लमही में ही बन रहा है। देशभर में स्थापित होने वाले श्री राम के इस अनोखे मंदिर में आदिवासी, दलित, महिला व किन्नर पुजारी होंगे। जो इन मंदिरों की अलौकिकता और भव्यता को और बढ़ाएंगे। पुजारी बनने के लिए इन्हें बस भगवान राम के दर्शन करने होंगे और उनके नाम की दीक्षा लेनी होगी।

भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए संयुक्त परिवार को जोड़ने के लिए गांव-गांव में श्रीराम परिवार मंदिर की स्थापना की योजना रामपंथ ने तैयार की है। श्रीराम परिवार मंदिर में भगवान राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी, शत्रुघ्न-श्रुतिकीर्ति और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित होंगी।

रामपंथ के प्रमुख डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि जाति, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर श्रीराम परिवार मंदिर स्थापित करने की योजना तैयार की गई है। इसमें महिला, पुरुष और किन्नर कोई भी राम नाम की दीक्षा और भगवान राम का दर्शन करके पुजारी बन सकता है। भारत के गांव-गांव में श्रीराम मंदिर स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही अमेरिका और यूरोपीय देशों में भी इन मंदिरों को स्थापित करने की योजना है।

1100 पुजारी लेंगे राम नाम की दीक्षा

श्रीराम परिवार मंदिर के मुख्यालय श्रीराम संबंध मंदिर में रामायण के सभी पात्र नजर आएंगे। लमही में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। भगवान राम के साथ ही उनका सहयोग करने वाले सभी पात्रों को इस मंदिर में स्थापित किया जाएगा। यहीं पर राम नाम की दीक्षा और भगवान राम के दर्शन करने के बाद पुजारियों की नियुक्ति होगी। रामनवमी पर 17 अप्रैल को 1100 पुजारियों को राम नाम की दीक्षा दी जाएगी।

Vipin Singh

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