- स्तनपान के लिए माताओं को जागरूक करने की आवश्यकता: ब्रजेश पाठक

लखनऊ, 01 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को राजभवन स्थित गांधी सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह की प्रदेश भर में संचालित होने वाली गतिविधियों का शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर बोलते हुए आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मां के दूध को सर्वाेत्तम आहार मानते हुए शिशु को स्तनपान कराने के लिए वृहद अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन यह गंभीर चिंता का विषय है कि प्रदेश में माँ के द्वारा स्तनपान कराने के प्रतिशत में वृद्धि नहीं हुई। उन्होंने कहा इस दिशा में अभियान के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

राज्यपाल ने सरकारी अस्पतालों में हुए प्रसवों में शत-प्रतिशत शिशुओं को स्तनपान करवाने पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी सी.एच.सी., पी.एच.सी., जनपदीय अस्पतालों तथा प्रसव केन्द्रों आदि पर एक बोर्ड लगाया जाए, जिस पर उस दिन होने वाले प्रसव तथा स्तनपान कराने का समय अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि ग्रामीण स्तर तक होने वाले संस्थागत प्रसवों की जानकारी के लिए ऐप विकसित कर लिया जाए, जिसमें प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान की जानकारी भी ली जाए। गांवों में होने वाले गैर संस्थागत प्रसवों की जानकारी के लिए उन्होंने ग्राम-प्रधानों से सम्पर्क करने को कहा।

राज्यपाल ने कहा उत्तर प्रदेश में वर्तमान में चार में से मात्र एक शिशु को जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान कराया जाता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है। जबकि प्रदेश में लगभग चौरासी प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं। इसका तात्पर्य है कि प्रदेश की चिकित्सा इकाइयों में स्तनपान को प्रोत्साहित करने हेतु अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। माँ का दूध बच्चों को बाल्यकाल में होने वाली सभी बीमारियों जैसे-डायरिया, निमोनिया आदि से भी बचाव करता है। हमें माताओं को भी बताना होगा कि वे अपने शिशुओं को स्तनपान कराकर कुपोषण एवं अन्य रोगों से बचा सकती हैं। राज्यपाल जी ने कार्यक्रम स्तनपान को प्रोत्साहन देने वाले विभाग द्वारा लांच किए गए पोस्टर का विमोचन भी किया।

स्तनपान के लिए माताओं को जागरूक करने की जरूरत: ब्रजेश पाठक

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तथा चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि शिशुओं के स्वास्थ्य को मजबूत बनाने की प्राकृतिक क्षमता के लिए माताओं से स्तनपान में वृद्धि न होना चिंतन का विषय है। हमें इस दिशा में अपने समाज और विशेष रूप माताओं को जागरूक करने की आवश्यकता है।

राज्य मंत्री मंयकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में यह आंकड़ा शहरी क्षेत्रों में कम है। पढ़ी-लिखी महिलाएं ही भ्रांतियों के कारण इस कार्य से पीछे हट रही हैं, जिन्हे प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

पहले एक घंटे के भीतर 24 प्रतिशत बच्चों को ही मिल पाता है मां का दूध

केजीएमयू लखनऊ की बाल रोग विशेषज्ञ डा. माला कुमार ने कार्यक्रम में एक प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताया कि राज्य में प्रति 10 बच्चों में केवल 06 बच्चे ही 6 माह तक मां का दूध प्राप्त कर रहे हैं। सकल जन्मदर में 24 प्रतिशत बच्चे ही पहले एक घंटे के भीतर मां का दूध पा रहे हैं, जबकि 80 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जन्म के बाद का एक घंटा ही स्तनपान की दृष्टि बेहद महत्वपूर्ण है, जिसे बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रस्तुतिकरण में अस्पताल के लिए स्तनपान नीति भी प्रदर्शित की।

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद ने राज्यपाल के सुझावों एवं निर्देशों का यथाशीघ्र अनुपालन करने के दृढ़ आश्वासन के साथ सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय, विशेष सचिव प्रांजल यादव, मुख्य चिकित्साधिकारी लखनऊ, विभिन्न चिकित्सालयों से आए चिकित्साधिकारी, नर्सिंग स्टाफ, ए.एन.एम. तथा अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन

Updated On 23 Sep 2023 3:29 PM GMT
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