-सूरत जिला सामाजिक सुरक्षा एवं बाल विवाह निषेध विभाग की पहल

-123 मूक-बधिर लाभार्थियों को श्रवण यंत्र, 262 को रोजगारोन्मुख साधन

-108 लाभार्थियों को विवाह सहायता योजन का लाभ दिया गया

सूरत, 23 सितंबर (हि.स.)। हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को 'विश्व मूक-बधिर दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व मूक-बधिर दिवस 24 सितंबर को ‘इयर एंड हियरिंग केयर फॉर ऑल’ की थीम पर मनाया जाएगा। सितंबर के अंतिम सप्ताह को विश्व बधिर महासंघ (डब्ल्यूएफडी) और दुनिया भर के संबंधित राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मूक-बधिर सप्ताह के रूप में भी मनाया जाता है।

राज्य सरकार राज्य के मूक-बधिर (सुनने-बोलने में असमर्थ) वर्ग के लिए एस.टी बस में निःशुल्क यात्रा, विवाह सहायता, दिव्यांग राहत उपकरण, रोजगार उन्मुख साधन-सहायता जैसी कल्याणकारी योजनाएं प्रदान करती है। सूरत जिला सामाजिक सुरक्षा एवं बाल विवाह रोकथाम विभाग ने मूक-बधिर लाभार्थियों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान किया है, जिसमें एसटी बस निःशुल्क यात्रा योजना के तहत पिछले पांच वर्षों में 1,592 मूक-बधिरों को बस पास, 123 लाभार्थियों को हियरिंग मशीन, 262 को रोजगार उन्मुख साधन एवं 108 लाभार्थियों को विवाह सहायता योजना का लाभ दिया गया है। विभाग द्वारा मूक बधिरों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ एवं मार्गदर्शन के साथ-साथ जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया जाते हैं

विश्व मूक-बधिर दिवस मनाने के उद्देश्य के संबंध में बाल विवाह निषेधकर्ता एवं जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी जिग्नेश एम. चौधरी ने बताया कि मूक बधिरों में स्वस्थ जीवन, स्वाभिमान एवं सम्मान की भावना जागृत करने के उद्देश्य से यह दिन मनाया जाता है। इसमें मूक बधिरों के द्वारा किए गये कार्यों की सराहना की जाती है तथा उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों सहित कई सरकारी, सामाजिक संगठन मूक-बधिरों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों और उत्थान के उद्देश्य से लोगों में जागरूकता फैलाते हैं।

जिग्नेश कहते है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जन्म से मूक बधिर बच्चों के परिवारों के लिए आशा की किरण बन गया है। जिसमें 6 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों जो जन्म से ही मूक-बधिर थे उनकी 'कॉक्लियर इंप्लांट' सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी की मदद से अब बच्चे बोलना-सुन सकते है। निजी अस्पताल में इस सर्जरी का संपूर्ण उपचार और उसके बाद पुनर्वास (रिहेबिटेशन) पर 8 लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है। परन्तु आर.बी.एस.के योजना के तहत सरकार 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का ऑपरेशन, ऑपरेशन के दौरान स्क्रीनिंग, टेस्टिंग, ऑपरेशन, वेक्सीन और रिहेबिटेशन का सम्पूर्ण खर्च वहन करती हैं। सर्जरी जितनी कम उम्र में की जाएगी, परिणाम उतने ही बेहतर और उत्साहवर्धक होंगे। ऑपरेशन के 1 से 2 साल बाद भी बच्चों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए बच्चों को 'ऑडिटरी वर्बल थेरेपी' (ए.टी.बी) के जरूरी सेशन दिए जाते हैं। जिससे बच्चों को बोलने में मदद मिलती है।

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ़ को कब मान्यता प्राप्त हुई?

वर्ष 1958 में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ़ संगठन ने विश्व मूक बधिर दिवस मनाने की शुरुआत की। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ़ का पहला सम्मेलन 1951 में रोम, इटली में आयोजित किया गया था। सितंबर के अंतिम सप्ताह को मूक-बधिरों के अधिकारों के लिए अतरराष्ट्रीय सप्ताह और अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 1959 में संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ़ को मान्यता दी।

हिन्दुस्थान समाचार/ मेहुल/बिनोद/संजीव

Updated On 23 Sep 2023 7:35 PM GMT
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