कोलकाता, 1 जून (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के दाखिले को लेकर केंद्रीकृत व्यवस्था के दावे तो लगातार किए जाते रहे हैं लेकिन अभी भी इस मामले में पारदर्शिता नहीं है। इसकी वजह से छात्र काफी परेशानी में हैं। कॉलेज यूनियनों पर दाखिले के लिए एक बार फिर रुपये लेने के आरोप भी सामने आने लगे हैं। कुछ दिनों पहले राज्य सरकार ने विशेषज्ञों के साथ बैठक कर घोषणा की थी कि एडमिशन के लिए एक केंद्रीय कृत पोर्टल तैयार किया जाएगा लेकिन वह पोर्टल भी अब काम नहीं कर रहा है।

पश्चिम बंगाल में हर बोर्ड के 12वीं के परिणाम पहले ही घोषित हो चुके हैं। इसके बाद कॉलेजों में प्रवेशिका केंद्रीयकृत नहीं होने की वजह से छात्र और अभिभावक दोनों मुश्किल में हैं। आखिरकार उन्हें यूनियनों का ही सहारा लेना पड़ रहा है, जहां वसूली और भ्रष्टाचार चरम पर है।

दक्षिण कोलकाता के एक जाने-माने कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पंकज रॉय ने गुरुवार को हिन्दुस्थान समाचार से कहा, विकेंद्रीकृत व्यवस्था इसलिए स्थापित की गई है ताकि इस संबंध में छात्र नेताओं का धंधा बंद न हो।

उन्होंने कहा, गत 28 मई को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हमारे साथ बैठक की थी। इसमें चर्चा हुई कि उच्च शिक्षा बोर्ड इसे नियंत्रित करेगा। प्रत्येक आवेदक अधिकतम पांच कॉलेजों में आवेदन कर सकता है। पोर्टल शुरू होने के एक महीने के बाद संबंधित जानकारी कॉलेजों को उपलब्ध कराएंगे। कितनी पारदर्शिता बरती जाती है, यह अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।''

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया है कि राज्य के किसी भी कॉलेज में उपलब्ध सीटों की संख्या अब एक साइट पर देखी जा सकती है। जानकारी तलाशने के लिए अब प्रत्येक कॉलेज की वेबसाइट पर जाने की आवश्यकता नहीं है। शहर और यहां तक कि दूरदराज के इलाकों के लोग अपने घरों में सभी कॉलेजों से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। एक कॉलेज की दूसरे कॉलेज से समानता को देखते हुए न्यूनतम कट ऑफ मार्क्स देखने के बाद ही छात्र फॉर्म भर सकेंगे। इस पोर्टल के जरिए पैसा भी जमा किया जाएगा।

2022 में ही राज्य के सभी सरकारी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक ही पोर्टल के माध्यम से प्रवेश लेने की योजना बनाई गई थी लेकिन वह योजना क्रियान्वित नहीं हो सकी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के अलावा उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय, विद्यासागर, बर्दवान और कल्याणी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में भी इस केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया संचालित की जाएगी। हालांकि, जादवपुर यूनिवर्सिटी इस मामले में प्रवेशिका अपनी ही वेबसाइट के जरिए करवाने की घोषणा कर चुका है। इसके अलावा, स्वायत्त कॉलेजों, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों, प्रशिक्षण कॉलेजों, लॉ कॉलेजों, व्यावसायिक पाठ्यक्रम (ललित कला, नृत्य, संगीत) कॉलेजों या विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, फार्मेसी, नर्सिंग, मेडिकल पाठ्यक्रमों और स्व-वित्तपोषित या निजी कॉलेजों में राज्य सरकार की ओर से तैयार होने वाले केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से ही प्रवेशिका होगी।

हालांकि इसके फेल होने के बाद शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु भी बात टाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने कॉलेजों से कहा है कि केंद्रीय व्यवस्था के अलावा अलग से भी प्रवेशिका की व्यवस्था करें। तब तक हम केंद्रीय पोर्टल में संशोधन की कोशिश कर रहे हैं।

डॉ. पंकज रॉय ने कहा, 'दिल्ली यूनिवर्सिटी ने पिछले साल पोर्टल के जरिए एडमिशन और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू किया था। कर्नाटक, मध्य प्रदेश में भी यही व्यवस्था है। सीयूटीई (सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट) दिल्ली यूनिवर्सिटी में पांच से 12 जून तक होगा। अच्छी बात है कि पश्चिम बंगाल में भी इस बार प्रवेश परीक्षा होने जा रही है।

जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव प्रोफेसर पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा, जब लगभग सभी निजी शिक्षण संस्थानों ने स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश की प्रक्रिया बहुत पहले ही शुरू कर दी है, तो ऐसे में सरकारी शिक्षण संस्थानों में अव्यवस्था जानबूझकर की गई है। इसके अलावा विभिन्न शिक्षण संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के बावजूद चार साल का स्नातक कोर्स शुरू कर दिया गया है। खासकर सरकारी शिक्षण संस्थानों में व्यवस्था नहीं होने के बावजूद यह कोर्स शुरू होने से निजी शिक्षण संस्थानों को ज्यादा लाभ होगा। क्योंकि वे कंपटीशन के तौर पर व्यवस्थाएं अधिक करेंगे और छात्र उनकी ओर ही रुख करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश/संजीव

Updated On 1 Jun 2023 9:38 AM GMT
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