जयपुर/कोटा, 29 सितंबर (हि.स.)। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में कोचिंग संस्थानों के लिये नई गाइडलाइन-2023 लागू कर इसकी प्रभावी अनुपालना करने के दिशानिर्देश जारी किए हैं। गुरुवार को उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों द्वारा आत्महत्या जैसी अप्रिय घटना को रोकने की जिम्मेदारी कोचिंग संचालकों की है। राज्य सरकार ने बढती आत्महत्याओं को रोकने के लिये शिक्षा सचिव भवानी सिंह देथा की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय समिति का गठन कर सभी कोचिंग संस्थानों के लिए रेगुलेशन बनाने का निर्णय लिया था। नये नियमानुसार अब कोटा सहित राज्य में सभी कोचिंग संस्थानों को अब राज्य सरकार द्वारा विनियमित (रेगुलेट) किया जायेगा।

राज्य सरकार ने निर्देश दिये हैं कि भविष्य में कक्षा-9 से नीचे के छात्रों को कोचिंग में प्रवेश लेने से रोका जाये। दूसरा, कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक विद्यार्थी के लिये स्क्रीनिंग टेस्ट अनिवार्य होगा। तीसरा, बैच निर्धारण के लिये कोचिंग में टेस्ट में प्राप्त रैंक के स्थान पर नाम के अक्षरों के क्रम में बैच तय किये जायें।

याद दिला दें कि कोटा पुलिस की स्टूडेंट सेल हेल्पलाइन के अनुसार, कोटा में अब तक 26 विद्यार्थी आत्महत्या कर चुके हैं, जो 2015 के बाद सर्वाधिक हैं और 45 ने अपनी जान लेने के बारे में सोचा है। इसे देखते हुए कोचिंग संस्थान नये दिशा निर्देशों की पालना कर रहे हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए रेगुलेटरी मॉनिटरिंग सेल बनाया जायेगा। सरकार ने निर्देश दिये कि प्रदेश में आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मॉनिटरिंग सेल के पास कोचिंग में पढ़ने वाले सभी छात्रों का संबंधित डेटा उपलब्ध होगा। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा जल्द ही एक ‘डेडीकेटेड इंटीग्रेटेड पोर्टल‘ विकसित किया जाएगा।

कोचिंग छोडने पर पूरी फीस लौटायें-

समिति के पैनल ने कोचिंग सेंटर्स में प्रवेश की आयु कक्षा 9 तक ही सीमित करने के निर्देश दिये हैं। कक्षा-9 से नीचे के जो छात्र कोचिंग छोड़ना चाहते हैं, उन्हें पूरी फीस रिफंड करनी होगी। पैनल ने कहा कि कोचिंग संस्थानों में नए एडमिशन अनिवार्य स्क्रीनिंग टेस्ट के आधार पर ही हों। गाइडलाइन के अनुसार, कोचिंग संस्थानों को ‘इजी एग्जिट और रिफंड पॉलिसी’ अपनानी होगी। कोचिंग संस्थान साप्ताहिक टेस्ट में मूल्यांकन को बदलें। छात्रों को रैंक के अनुसार बैच देने की बजाय वर्णानुक्रम में तय करें। कोर्स के आधार पर बीच में कोई फेरबदल न करें।

टॉपर्स का महिमामंडन रोकें-

राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन में कोचिंग संस्थानों द्वारा प्रवेश परीक्षाओं में टॉपर्स के महिमामंडन पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने 2022 में भी एक विधेयक पारित कर निजी संस्थानों को टॉपर्स की सफलता का महिमामंडन करने से रोका था। कोचिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए एक योग्यता परीक्षा निर्धारित कर सभी विद्यार्थियों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया था लेकिन प्रदेश के कोचिंग संस्थानों ने यह जानकारी कभी प्रस्तुत नहीं की। नई गाउडलाइन में कोचिंग संस्थान के प्रबंधकों, शिक्षकों, अन्य कर्मचारियों और हॉस्टल के वार्डन और पेइंग गेस्ट आवास के लिए प्रशिक्षण को अनिवार्य किया गया है, ताकि वे विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति में आ रहे बदलाव का आकलन कर उनका समाधान कर सके।

बच्चों की तीन काउंसलिंग अनिवार्य-

कोचिंग संस्थान में प्रवेश के बाद विद्यार्थी की 45 दिन में प्रथम काउंसलिंग, 90 दिन बाद दूसरी और 120 दिन बाद तीसरी काउंसलिंग की जाये। यदि कोई भी छात्र इन पहले तीन परामर्श सत्रों में असुरक्षित पाया जाता है, तो उसे तुरंत वैकल्पिक कॅरियर की सलाह दी जाये। कोचिंग विद्यार्थियों पर मानसिक दबाव को कम करने के लिए संस्थानों में अनिवार्य छुट्टियां, नकली उपस्थिति रोकने के लिए चेहरे की पहचान और संकाय के लिए भी एक आचार संहिता बनाई गई है।

हिन्दुस्थान समचार/अरविंद/ईश्वर

Updated On 29 Sep 2023 7:25 PM GMT
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